Friday 1 December 2017

शोधार्थी ईमानदारी से करे शोध -गीतिका सरीन

 
उत्कृष्ट शोध पत्र लेखन के लिए कार्यशाला  का आयोजन 
     पूविवि के विश्वेश्वरैया सभागार में  शुक्रवार  को उत्कृष्ट शोध पत्र लेखन के लिए कार्यशाला  का आयोजन किया गया।कार्यशाला में शोध पत्र लेखन की बारीकियों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। यह आयोजन विश्वविद्यालय  के विवेकानन्द केन्द्रीय पुस्तकालय एवं स्प्रिंगर नेचर  इंडिया दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
    कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ दिल्ली की  गीतिका सरीन ने कहा  कि  शोध पत्र लेखन में नैतिक एवं सामाजिक पक्षों का  ध्यान रखा जाना  चाहिए। शोध का विषय  समाज को परिवर्तन देने वाला  हों। नवोन्मेष पर विशेष  ध्यान देते हुए कॉपी -पेस्ट से बचें। शोधार्थी साहित्यिक चोरी और नकली जर्नल्स से बचते हुये ईमानदारी से शोध कार्य पूर्ण करें। ज्ञान एवं समाज के विकास के लिए शोध बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि शोध के समय परिकल्पना बहुत प्रमुख होती है, हम क्या सोचते है, अन्य लोग क्या सोचते है और फिर इसी बुनियाद पर शोध प्रारम्भ होता है। उन्होंने कहा कि  स्तरीय शोध पत्रिका में शोध पत्रों का प्रकाशन लेखकों को वैश्विक छवि बनाने में मदद करता है। ऐसे में लेखकों को शोध पत्र लेखन की तकनीकी जानकारी होना आवश्यक है।आज के दौर में आवश्यकतानुसार अंग्रेजी भाषा को सीखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शोध पत्र समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में बड़ी भूमिका अदा करते हैं। शोध पत्र लेखन में गुणवत्ता, अच्छी भाषा शैली, नया विषय एवं क्षेत्र विशेष को ध्यान में रखना चाहिए। 
उद्घाटन सत्र के अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कुलपति प्रो.डॉ राजाराम यादव ने   कहा कि शोध पत्र लेखन में शब्दों के चयन एवं सारांशिका बेहतर शोध पत्र लेखन के आधार बिंदु हैं। सरांशिका में ही गागर में सागर होना चाहिए।  उन्होंने कहा कि उत्कृष्ट शोध लेखन से ही बेहतर ज्ञान का संचार संभव है। आज की कार्यशाला  बेहतर शोध पत्र लेखन में मददगार साबित होगी।उन्होंने शोधार्थियों से कहा कि शोध एक खोजपूर्ण और तथ्यपरक व्याख्या है। इसका प्रस्तुतिकरण  और भी महत्वपूर्ण है। लेखन एक कला है। शोध लेखन उसका उच्चतम बिंदु है। वैश्विक स्तर पर कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते हमारा ज्ञान सदैव समतुल्य होना आवश्यक है। किसी भी शिक्षक एवं विद्यार्थी के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह सदैव अपने ज्ञान को अपडेट करते रहे।
    स्प्रिंगर इण्डिया के क्षेत्रीय प्रबंधक कुंज  वर्मा  ने कहा कि यह कार्यशिविर लेखकों के कौशल विकास के लिए एक अवसर प्रदान करता है। स्प्रिंगर नेचर का  यह प्रयास है कि देश की बौद्धिक संपदा में उत्तरोत्तर वृद्धि हो। शोध पत्र लेखन के क्षेत्र में भारत, यूरोप व एशिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है।
    आए हुए प्रतिभागियों का स्वागत मानद पुस्तकालय अध्यक्ष डा. मानस पाण्डेय, संचालन डा. विद्युत मल्ल ने  किया।  कार्यशाला में विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के  शिक्षकों,शोधार्थियों के साथ गया ,फैज़ाबाद ,आजमगढ़ ,लखनऊ,गोरखपुर जौनपुर से आये हुए प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर प्रोफ़ेसर बीबी तिवारी,डॉ अजय द्विवेदी ,डॉ अजय प्रताप सिंह ,डॉ मनोज मिश्र ,डॉ सौरभ पाल ,डॉ दिग्विजय सिंह राठौर ,डॉ सुधीर उपाध्याय ,डॉ रुश्दा आज़मी, डॉ अवध बिहारी सिंह,डॉ सुनील कुमार ,डॉ शैलेश प्रजापति ,विनय वर्मा सहित विद्यार्धी उपस्थित रहे।   

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