Friday 10 November 2017

नोटबंदी के परिणाम अच्छे आने लगे है


नोटबंदी के एक  साल विषयक परिचर्चा का आयोजन 

 
पूर्वांचल विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान के  शोध एवं नवाचार केंद्र में व्यावसायिक अर्थशास्त्र विभाग द्वारा शुक्रवार को नोटबंदी के एक  साल विषयक परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में विद्यार्थियों ने नोटबंदी के पक्ष-  विपक्ष में अपनी बात रखी।इसके साथ ही अपने अनुभवों को भी साझा किया। 
परिचर्चा में विभागाध्यक्ष डॉक्टर मानस पांडे ने कहा कि नोटबंदी के परिणाम सुखद आने लगे हैं शुरूआती दिनों में भले परेशानी हुई हो लेकिन आज लोगों को बचत, खर्च और विनियोग के प्रति सजग किया है। देश की जीडीपी भी बढ़ी है।परिचर्चा में छात्रा प्रीति शुक्ला ने कहा कि थोड़ी परेशानी के बाद अगर देश का लाभ हो तो कोई बुरी बात नहीं है।छात्र कृष्णा ने कहा कि नोटबंदी से चुनाव में कालेधन का प्रयोग नहीं हो पाया और सही तरीके से चुनाव हुआ। इग्नू के छात्र अभिषेक मौर्या ने कहा कि कालाबाजारी, भ्रष्टाचार और आतंकवाद फैलाने वालों की नोटबंदी से कमर टूटी है। 

छात्रा दिव्या ने नोटबंदी के 1 साल के बाद की स्थिति को सामान्य बताया।  छात्र सूरज चौहान ने कहा कि नोटबंदी के दौरान उसके पिता के व्यवसाय पर बुरा प्रभाव पड़ा लेकिन अब स्थिति बेहतर है।  किशन सिंह ने कहा कि विदेशों में पड़ी हमारी मुद्रा  भारत को वापस आ गई । इसके साथ ही छात्र आकाश कुशवाहा सादिक, शुभम तिवारी, शिवानी पांडे, नितिन, सूरज, लक्ष्मी मौर्या ,गौरव शुक्ला, निशिकांत यादव, सार्थक श्रीवास्तव, नक्की हसन रिजवी, अवंतिका श्रीवास्तव आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।  परिचर्चा का संचालन डॉ सु सिंह ने किया इस अवसर पर डॉक्टर दिग्विजय सिंह राठौर डॉ आशुतोष सिंह समेत प्रबंधन अध्ययन संकाय के विभिन्न विभागों की छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। 
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 शिक्षकों के लिये तीन दिवसीय कार्याशाला शुरू 
विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संस्थान में शिक्षकों के लिये तीन दिवसीय कार्यशाला शुक्रवार को प्रारम्भ हुई. इसका आयोजन तकनीकी शिक्षा उन्नयन कार्यक्रम के अंतर्गत किया गया। आई.आईटी. बी.एच.यू. वाराणसी के आचार्य डॉ अमरेन्द्र कुमार ने परिवार, समाज और प्रकृति में शिक्षक के महत्व के बारे में जानकारी दी। डॉ अमरेन्द्र कुमार ने कहा कि आजकल की दिनचर्या में हर व्यक्ति अपनी मौलिक स्वभाव को छोड़कर, बाहरी  वातावरण से बहुत ज्यादा प्रभावित है। फलस्वरूप् छात्रों से लेकर शिक्षकों में भी आत्मविश्वास कम हुआ है। कार्याशाला के माध्यम से शिक्षकों में अपने मौलिक स्वभाव को पहचानने क लिये आवश्यकीय बिन्दुओं पर बात हुई। शिक्षा से समाज की अपेक्षाओं पर भी कार्याशाला में चर्चा हुई। शिक्षा के माध्यम से ही हर मानव सुखी हो सकता ,हर परिवार समृद्धि पूर्वक जी सकता है। समाज युद्ध मुक्त हो सकता है, और मानव, प्रकृति में संतुलित। भागीदारी कर सकता है। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 रजनीश भाष्कर ने किया और डॉ ए0 के0 श्रीवास्तव ने  स्वागत किये।धन्यवाद ज्ञापन डॉ शैलेश कुमार प्रजापति ने दिया।इस कार्यक्रम में श्री योगेश कुमार सिंह, डॉ संतोष कुमार , डॉ राजकुमार, डॉ रितेश बरनवाल, डॉ प्रवीण सिंह, डॉ सुधीर सिंह आदि मौजूद रहें।


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