Saturday 7 October 2017

पीयू में राम कथा का चौथा दिन



विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में शनिवार  को पांच दिवसीय राम कथा के चौथे दिन प्रवचन में देश के प्रख्यात राम कथा वाचक श्री शांतनु जी महाराज ने कहा कि सांसारिकता में  मानव  अहंकार के वशीभूत हो जाता है।  जब व्यक्ति बड़े पद पर आसीन होता है तो  उसका व्यक्तित्व असहज हो जाता है।व्यक्ति को सदैव सरल और सहज होना चाहिए।मानव  असहज है जबकि ईश्वर सहज है।
उन्होंने आज की शिक्षा पद्धति पर भी विस्तार से बात की। कहा कि आज शिक्षा के साथ - साथ  संस्कारों की आवश्यकता  है। संस्कारों को स्थापित करने के लिए हर घर में मर्यादापुर्षोत्तम राम के आदर्शों  को स्थापित करने की जरुरत है. विद्या मंदिर को शिक्षा के साथ -साथ अपने विद्यार्थियों को संस्कार देना समय की आवश्यकता है। भारत की पहचान यहां की संस्कृति से है।यहां के संस्कार युगों- युगों से चले आ रहे है।
उन्होंने कहा कि भगवान का धरती पर आने का उद्देश्य दुष्टों का नाश, सज्जनों की रक्षा और धर्म की स्थापना करना रहा।हमारे युग पुरुष भगवान कृष्ण और श्री राम ने यहीं किया।बाल काल का भाव पूर्ण वर्णन करते हुए श्री राम के गुरुकुल पर प्रकाश डाला। 
  व्यास पीठ का पूजन इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के माननीय न्यायमूर्ति श्री दिनेश कुमार सिंह, कुलपति प्रो डॉ राजा राम यादव, वित्त अधिकारी एम के सिंह, प्रो बी बी तिवारी, संयोजक डॉ अजय प्रताप सिंह, समन्वयक  शतरुद्र प्रताप सिंह, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, आर के जैन, सम्पूर्णानन्द पांडेय, डॉ रचना त्रिपाठी, डॉ अनामिका मिश्रा  ने किया।मिहरावां पीजी कॉलेज के प्रबंधक राजीव कुमार सिंह, प्राचार्य डॉ सत्येंद्र प्रताप सिंह , प्रधानाचार्य प्रमोद कुमार सिंह ने  कथा वाचक शांतनु जी को अंगवस्त्रम भेंट कर सम्मानित किया।
राम कथा वाचक श्री शांतनु जी महाराज का  प्रो ए के श्रीवास्तव,  डॉ सुशील कुमार,डॉ अवध बिहारी सिंह,डॉ सुधांशु शेखर यादव, डॉ के एस  तोमर, आशुतोष सिंह, आनंद सिंह, श्याम त्रिपाठी, अशोक सिंह, रजनीश सिंह, अरुण सिंह, मोहन पांडेय,राम जस मिश्रा ने माल्यार्पण कर स्वागत किया। संचालन विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ मनोज मिश्र ने किया।
इस अवसर पर कुलसचिव संजीव कुमार सिंह, डॉ वीरेंद्र विक्रम यादव, राकेश यादव, डॉ सुनील कुमार, डॉ सुरजीत यादव, संजय श्रीवास्तव समेत ग्रामीण क्षेत्र के लोग मौजूद रहे.

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