Sunday 26 June 2016

शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर अनुप्रयोग विषयक कार्यशाला समापन सत्र


 विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान स्थित कांफ्रेस हाल में सामाजिक विज्ञान संकाय के शोधार्थियों को सम्बोधित करते हुये इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इतिहास विभाग के प्रो. हेरम्ब चतुर्वेदी  ने कहा कि प्रत्येक काल-खण्ड की अपनी भाषा और शब्दावली हुआ करती है। शोध में इसका ख्याल रखना जरूरी है।
प्रो. चतुर्वेदी  शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर अनुप्रयोग विषयक कार्यशाला में रविवार  को समापन सत्र में  विश्वविद्यालय के शोधार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अपने शोध समय के समकालीन कालजयी रचनाकारों के साहित्य का अवलोकन भी करते रहे, इससे उत्कृष्ट शोध प्रबंध लेखन में मद्द मिलेगी। शोध परिकल्पना एवं शोध प्राविधि में समसामयिक दौर की रचनाओं के अध्ययन को भी शामिल करने की जरूरत है। समग्र अध्ययन करने से ही अपने उदे्श्य की प्राप्ति होगी। उन्होंने कहा कि दुनिया की अन्य संस्कृतियों का निदर्शन संग्रहालय एवं पुस्तकों में हैं वही भारत की पुरातन संस्कृति आज भी सर्वत्र परिलक्षित है। 

  इसके पूर्व कार्यशाला के तकनीकी सत्र में विद्वान विषय विशेषज्ञ इलाहाबाद डिग्री कालेज के डा0 अतुल सिंह द्वारा शोधार्थियों को शोध पत्र लेखन में सांख्यिकी, डाटा एनालिसिस, डाटा प्रजेंटेशन एवं एस.पी.एस.एस. आदि पर सारगर्भित जानकारी दी गयी। 

पुस्तकालय में आये हुए सभी शोधार्थियों को सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के डा0 एच0 के0 चक्रवर्ती एवं डा0 विद्युत कुमार मल  ने शोध लेखन हेतु वेबसाइट एवं इन्टरनेट  पर उपलब्ध महत्वपूर्ण स्रोतो पर चर्चा की। 

  इस अवसर पर प्रो0 डी0डी0 दूबे,  डा0 ए0 के0 मिश्र, डा0 अविनाश पाथर्डिकर, डा0 मनोज मिश्र, डा0 सुशील सिंह, डा0 अवध बिहारी सिंह, डा0 आलोक सिंह, डा0 परमेन्द्र विक्रम सिंह, डा. रूश्दा आजमी, श्याम श्रीवास्तव, आनन्द सिंह, करूणा निराला,  आशुतोष सिंह, पंकज सिंह, सहित विश्वविद्यालय के शोधार्थी मौजूद रहे। समापन  सत्र पर सभी शोधार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। संचालन डा. आशुतोष सिंह स्वागत आयोजन सचिव  डा0 वन्दना राय एवं आभार समन्वयक डा. राकेश सिंह द्वारा किया गया।


Saturday 25 June 2016

VBS Purvanchal University Jaunpur Workshop on Research Methodology and c...

शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर अनुप्रयोग विषयक कार्यशाला


 विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान स्थित डा. राजनारायण गुप्त कांफ्रेस हाल में शिक्षा संकाय तथा सामाजिक विज्ञान संकाय के शोधार्थियों को सम्बोधित करते हुये बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.. अविनाश चन्द्र पाण्डेय ने कहा कि शोधकर्ता में खोजबीन की भावना का होना आवश्यक है। प्रकृति ने आपको अच्छा कार्य करने के लिये बनाया है। कुछ बेहतर करने की कोशिश सदैव करते रहना चाहिये। 
प्रो. पाण्डेय शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर अनुप्रयोग विषयक कार्यशाला में शनिवार को 21वीं सदी में सीखने की चुनौतियाॅ विषय पर विश्वविद्यालय के शोधार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सम्बन्धित विषय में जो कुछ भी अनकही है, उसे तथ्यों के साथ प्रस्फुटित करना है। समय-समय पर कठिनाइयाॅ आयेंगी, लेकिन यदि सर्वश्रेष्ठ बनना है तो अपने द्वारा की गयी त्रुटियों को सुधारते हुये बेहतर प्रयास के लिये संकल्पित होना होगा। उन्होंने कहा कि शोध सत्य की खोज है। शोधकर्ता को धैर्य के साथ विषय के अन्तिम सच तक पहुॅचना होगा। 
कार्यशाला के तकनीकी सत्रो में विद्वान विषय विशेषज्ञो द्वारा शोधार्थियों को शोध पत्र लेखन पर महत्वपूर्ण एवं सारगर्भित जानकारी दी गयी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के शिक्षाशास्त्र विभाग की प्रो. गीता सिंह, दर्शनशास्त्र विभाग के प्रो. डी. गंगाधर, काशी विद्यापीठ के समाजशास्त्र विभाग के प्रो. रमाशंकर त्रिपाठी एवं इलाहाबाद डिग्री कालेज के डा. अतुल सिंह ने शोध प्राविधि, सांख्यिकी, डाटा एनालिसिस, डाटा प्रजेंटेशन, एस.पी.एस.एस. सहित शोध के विभिन्न आयामों एवं तरीकों पर प्रकाश डाला। 
विश्वविद्यालय के डा0 मानस पाण्डेय एवं डा. मनोज मिश्र ने शोधार्थियों को भाषा के महत्व, साहित्य की समीक्षा एवं सन्दर्भ ग्रन्थ सूची तैयार करने की विधि पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी। पुस्तकालय में आये हुए सभी शोधार्थियों को डा0 विद्युत कुमार मल ने रिफरेंसबुक्स तथा इडिटेड किताबो पर चर्चा करते हुये शोध गंगा के बारे में विस्तार पूर्वक बताया।इस अवसर पर समन्वयक डा. शिवशंकर सिंह, डा. राकेश सिंह, डा. नुपूर तिवारी, डा. अमरेन्द्र सिंह, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. रूश्दा आजमी, डा. सुनील कुमार, डा. धर्मेन्द्र सिंह, अनिल श्रीवास्तव, श्याम श्रीवास्तव, आनन्द सिंह, पंकज सिंह, सहित विश्वविद्यालय के शोधार्थी एंव प्रतिभागी मौजूद रहे। संचालन संकायाध्यक्ष डा. एच.सी. पुरोहित, स्वागत आयोजन सचिव  डा. वन्दना राय द्वारा एवं आभार डा. आशुतोष सिंह द्वारा किया गया। 




 



शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर अनुप्रयोग विषयक कार्यशाला


 विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान स्थित डा. राजनारायण गुप्त कांफ्रेस हाल में शिक्षा संकाय तथा सामाजिक विज्ञान संकाय के शोधार्थियों को सम्बोधित करते हुये बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.. अविनाश चन्द्र पाण्डेय ने कहा कि शोधकर्ता में खोजबीन की भावना का होना आवश्यक है। प्रकृति ने आपको अच्छा कार्य करने के लिये बनाया है। कुछ बेहतर करने की कोशिश सदैव करते रहना चाहिये। 
प्रो. पाण्डेय शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर अनुप्रयोग विषयक कार्यशाला में शनिवार को 21वीं सदी में सीखने की चुनौतियाॅ विषय पर विश्वविद्यालय के शोधार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सम्बन्धित विषय में जो कुछ भी अनकही है, उसे तथ्यों के साथ प्रस्फुटित करना है। समय-समय पर कठिनाइयाॅ आयेंगी, लेकिन यदि सर्वश्रेष्ठ बनना है तो अपने द्वारा की गयी त्रुटियों को सुधारते हुये बेहतर प्रयास के लिये संकल्पित होना होगा। उन्होंने कहा कि शोध सत्य की खोज है। शोधकर्ता को धैर्य के साथ विषय के अन्तिम सच तक पहुॅचना होगा। 
कार्यशाला के तकनीकी सत्रो में विद्वान विषय विशेषज्ञो द्वारा शोधार्थियों को शोध पत्र लेखन पर महत्वपूर्ण एवं सारगर्भित जानकारी दी गयी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के शिक्षाशास्त्र विभाग की प्रो. गीता सिंह, दर्शनशास्त्र विभाग के प्रो. डी. गंगाधर, काशी विद्यापीठ के समाजशास्त्र विभाग के प्रो. रमाशंकर त्रिपाठी एवं इलाहाबाद डिग्री कालेज के डा. अतुल सिंह ने शोध प्राविधि, सांख्यिकी, डाटा एनालिसिस, डाटा प्रजेंटेशन, एस.पी.एस.एस. सहित शोध के विभिन्न आयामों एवं तरीकों पर प्रकाश डाला। 
विश्वविद्यालय के डा0 मानस पाण्डेय एवं डा. मनोज मिश्र ने शोधार्थियों को भाषा के महत्व, साहित्य की समीक्षा एवं सन्दर्भ ग्रन्थ सूची तैयार करने की विधि पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी। पुस्तकालय में आये हुए सभी शोधार्थियों को डा0 विद्युत कुमार मल ने रिफरेंसबुक्स तथा इडिटेड किताबो पर चर्चा करते हुये शोध गंगा के बारे में विस्तार पूर्वक बताया।इस अवसर पर समन्वयक डा. शिवशंकर सिंह, डा. राकेश सिंह, डा. नुपूर तिवारी, डा. अमरेन्द्र सिंह, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. रूश्दा आजमी, डा. सुनील कुमार, डा. धर्मेन्द्र सिंह, अनिल श्रीवास्तव, श्याम श्रीवास्तव, आनन्द सिंह, पंकज सिंह, सहित विश्वविद्यालय के शोधार्थी एंव प्रतिभागी मौजूद रहे। संचालन संकायाध्यक्ष डा. एच.सी. पुरोहित, स्वागत आयोजन सचिव  डा. वन्दना राय द्वारा एवं आभार डा. आशुतोष सिंह द्वारा किया गया। 




 



Friday 24 June 2016

शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर अनुप्रयोग विषयक कार्यशाला


 विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान स्थित डा. राजनारायण गुप्त कांफ्रेस हाल में  शिक्षा संकाय तथा सामाजिक विज्ञान संकाय के शोधार्थियों को सम्बोधित करते हुये विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं मण्डलायुक्त वाराणसी नितिन रमेश गोकर्ण ने कहा कि शोध एक खोज है। खोज का रास्ता ज्ञान से भरा है। इस दौर में आप जीवन के कई आयामों से रूबरू होंगे। यह जीवन की एक अद्भुत एवं महत्वपूर्ण यात्रा है।  
श्री गोकर्ण शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर अनुप्रयोग विषयक कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में शुक्रवार को बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सामाजिक विषयों में शोध के दौरान आमजन से जुड़ना पड़ता है, तब जाकर सही तथ्यों का संकलन हो पाता है। उन्होंने कहा कि यह शोध कार्य आपके व्यक्तित्व को भविष्य में परिभाषित करेगा। सूचना एवं तकनीकी के दौर में शोध एक चुनौती है। साहित्यिक चोरी से बचते हुये ईमानदारी से शोध कार्य पूर्ण करें। 
पूर्व कुलपति एवं वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. कीर्ति सिंह ने कहा कि शोध में क्रोध का कोई स्थान नहीं है। आपकी सोच में गम्भीरता एवं कर्तव्यनिष्ठा परिलक्षित होनी चाहिये। उद्देश्य की प्राप्ति के लिये सही प्राविधि होना आवश्यक है। 
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि अच्छा शोध प्रबन्ध लेखन एक कला है। आपके कितने वैज्ञानिक ढंग से उसे सुनियोजित करते हैं, उस दिशा में विश्वविद्यालय द्वारा यह कार्यशाला आयोजित कर एक प्रयास किया गया है। उन्होंने शोधार्थियों से कहा कि आप अपने विषय को अपनी आत्मा से जोड़ें।कार्यशाला के समानान्तर तकनीकी सत्रो में डा0 यू0 पी0 सिंह एवं संकाय भवन स्थित कांफ्रेंस  हाल में विद्वान विषय विशेषज्ञो द्वारा शोधार्थियों को शोध पत्र लेखन पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के संस्कृत विभाग के प्रो. उपेन्द्र पाण्डेय, मनोविज्ञान विभाग के प्रो. तुषार सिंह, दर्शनशास्त्र विभाग के प्रो. के.एस. ओझा, भूगोल विभाग के प्रो. रामबिलास, आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रो. ज्ञानप्रकाश सिंह, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के प्रो. एच.एस. उपाध्याय ने सांख्यिकी, डाटा एनालिसिस, डाटा प्रजेंटेशन सहित शोध के विभिन्न आयामों एवं तरीकों पर प्रकाश डाला। लखनऊ विश्वविद्यालय की डिप्टी लाईब्रेरियन डा0 ज्योति मिश्रा एवं मानद पुस्तकालयाध्यक्ष डा0 मानस पाण्डेय ने जर्नल, टेक्स्ट बुक्स, रिफरेंसबुक्स तथा इडिटेड किताबो पर चर्चा करते हुये शोध हेतु विद्यार्थियों को पुस्तकों की उपयोगिता पर व्याख्यान दिया। पुस्तकालय में आये हुए सभी शोधार्थियों को डा0 विद्युत कुमार मल ने शोध गंगा के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। इस अवसर पर वित्तअधिकारी एम.के. सिंह, पूर्व प्राचार्य डा. लालजी त्रिपाठी, डा. यू.पी. सिंह, डा. ए.के. मिश्र, डा. अशोक कुमार सिंह, उपकुलसचिव संजीव सिंह, डा. टी.बी. सिंह, डा. रामनारायण, डा. प्रदीप कुमार, डा. आशुतोष सिंह, डा. मनोज मिश्र, डा. नुपूर तिवारी, डा. रशिकेश, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अवध बिहारी सिंह, ऋषि श्रीवास्तव, डा. आलोक दास, डा. सुशील सिंह, डा. आलोक सिंह, डा. परमेन्द्र सिंह, डा. के.एस. तोमर, अनिल श्रीवास्तव, श्याम श्रीवास्तव, आनन्द सिंह, पंकज सिंह, रजनीश सिंह,अशोक सिंह सहित विश्वविद्यालय के शोधार्थी एंव प्रतिभागी मौजूद रहे। संचालन संकायाध्यक्ष डा. एच.सी. पुरोहित, स्वागत आयोजन सचिव  डा. वन्दना राय द्वारा एवं आभार समन्वयक डा. राकेश सिंह द्वारा किया गया।
 

 













Thursday 23 June 2016

VBS Purvanchal University Jaunpur Workshop on Research Methodology and c...

शोध प्राविधि एवं कम्यूटर एप्लीकेशन विषयक कार्यशाला


 विश्वविद्यालय परिसर स्थित डा0 राजनारायण गुप्ता, डा0 यू0 पी0 सिंह एवं संकाय भवन स्थित कांफ्रेंस  हाल में गुरूवार को शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर एप्लीकेशन विषयक आयोजित कार्यशाला के समानान्तर तकनीकी सत्रो में विद्वान विषय विशेषज्ञो द्वारा शोधार्थियों को शोध पत्र लेखन पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी। 
विज्ञान संकाय के शोधार्थियों को सम्बोधित करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एस0बी0 निम्से ने कहा कि शोध कार्य करते समय आधार भूत ज्ञान के स्रोत पर इमारत खड़ी करने की अवधारणा का ध्यान रखकर कार्ययोजना तैयार करने की जरूरत है। शोधार्थी को घिसी-पिटी अवधारणा से बचते हुए उत्कृष्ट शोध के लिए सक्रिय होना चााहिए। उन्होंने महान भारतीय गणितज्ञों के अनुसंधानो की चर्चा करते हुए विद्यार्थियों को उनसे प्रेरणा लेने की सलाह दी। उन्होने शोध विशेषज्ञों से वर्तमान में ज्वलन्त विषयों पर शोध करने की जरूरत पर बल दिया।   
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो0 पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि शोध की गुणवत्ता के लिए विश्वविद्यालय द्वारा विशेष प्रयास किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि आज देश में पर्याप्त इंजीनियर हैं लेकिन तकनीशियन कम हो रहे है। शोधकर्ता को वर्तमान से अवगत होते हुए भविष्यगत समस्याओं के निदान के लिए सार्थक शोध करना होगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला की माध्यम से शोधार्थियों की सोच को व्यापक बनाने की कोशिश की गयी है। 
बी0एच0यू0 में रसायन विज्ञान विभाग के प्रो0 लल्लन मिश्र ने विद्यार्थियों को शोध के तरीकों पर विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने विद्यार्थियों को मौलिक शोध लेखन पर महत्वपूर्ण टिप्स दिये। 
फ्लोरिडा  यू0एस0ए0 के डा0 राकेश कुमार सिंह ने शोध में नई चुनौतियों पर चर्चा की। 
बी0एच0यू0 में समाजशास्त्र के प्रो0 ए0के0 कौल कहा कि वैश्विक कारण के चलते समाजिक विचार धाराओं में बदलाव हुआ है। ऐसे में इसको दृष्टिगत रखते हुऐ शोध प्राविधि में बदलाव की जरूरत है। 
बी0एच0यू0 में प्रबन्ध संकाय के प्रो0 शशि श्रीवास्तव ने विद्यार्थियों से कहा कि समाचार पत्र भी हमे नये-नये शोध विषय की संकल्पना देते रहते है। 
बी0एच0यू0 में प्रबन्ध संकाय के प्रो0 आर0के0 लोधवाल ने शोध डिजाइन पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कि आज का शोधार्थी अपने विषय चयन में ही काफी समय दे देता है, जबकि यह समय वह अपने शोध कार्य में दे सकता है। 
समाजिक विज्ञान संकाय के शोधार्थियों को सम्बोधित करते हुए काशी विद्यापीठ के प्रो0 राममोहन पाठक ने शोध प्राविधि, मौलिक लेखन एवं स्रोत विषय विद्वानो के संदर्भ में विस्तार से चर्चा की। 
संम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय में शिक्षा शास्त्र विभाग के प्रो0 वाचस्पति द्विवेदी ने शोधार्थियों को शोध प्रबन्ध लेखन पर उपयोगी जानकारी दी।
आज कार्यशाला में विश्वविद्यालय के एमबीइ, एचआरडी, एमबीए,  कामर्स ,मनोविज्ञान ,अर्थशास्त्र एवं समाज शास्त्र के पंजीकृत शोधार्थी का अन्तिम दिन था। विज्ञान संकाय के विद्यार्थी कल तक कार्यशाला में उपस्थित रहेगें। शिक्षा संकाय तथा समाजिक विज्ञान संकाय के विद्यार्थी 26 जून तक कार्यशाला में भाग लेंगे। 
विवेकानन्द केन्द्रीय पुस्तकालय में बी0एच0यू0 के डिप्टी लाईब्रेरियन डा0 संजीव सर्राफ ने शोध हेतु पुस्तकों की महत्ता, एवं उनकी उपयोगिता  पर चर्चा की। 
मानद पुस्तकालयाध्यक्ष डा0 मानस पाण्डेय ने जर्नल, टेक्स्ट बुक्स, रिफरेंसबुक्स तथा इडिटेड किताबो के जरिये शोध हेतु विद्यार्थियों को विस्तृत व्याख्यान दिया। पुस्तकालय में आये हुए शोधार्थियों को डा0 विद्युत कुमार मल ने शोध गंगा के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। 
 कार्यशाला समन्वयक प्राचार्य डा0 शिवशंकर सिंह ने शोधार्थियों को शोध प्रबंध लेखन एवं डाटा संग्रहण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। 
इस अवसर पर डा0 राकेश सिंह, उप कुल सचिव संजीव सिंह, डा0 रामनारायण, डा0 एस0पी0 तिवारी डा0 राजेश शर्मा, डा0 मनोज मिश्र, डा0 रशिकेश, डा0 दिग्विजय सिंह राठौर, डा0 अवध बिहारी सिंह, डा. सुनील कुमार, ऋषि श्रीवास्तव, डा आलोक दास, डा0 सुशील सिंह, डा0 आलोक सिंह, डाॅ. के.एस. तोमर, अनिल श्रीवास्तव, श्याम श्रीवास्तव, आनन्द सिंह, पंकज सिंह, सहित विश्वविद्यालय के शोधार्थी एंव प्रतिभागी मौजूद रहे। संचालन संकायाध्यक्ष डा. एच.सी. पुरोहित, स्वागत आयोजन सचिव डा. वन्दना राय द्वारा एवं आभार डा आशुतोष सिंह द्वारा  किया गया।

                             

Wednesday 22 June 2016

First Day Videos: Workshop on Research Methodology and ...

शोध प्राविधि कार्यशाला दूसरा दिन



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Tuesday 21 June 2016

शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर एप्लीकेशन विषयक कार्यशाला





 वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान स्थिति शोध एवं नवाचार केन्द्र में बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय, गया के प्रति कुलपति प्रो. ओ.पी. राय ने कहा कि शोध समाधान के लिये किया जाना चाहिये। कोई भी शोध आपकी पूरी जिन्दगी को बदल सकता है। उनका मानना है कि जो शोध अब तक हुये हैं उसकी उपयोगिता एवं महत्व पर भी शोध करने की जरूरत है।
प्रोफेसर राय शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर एप्लीकेशन विषयक  कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मंगलवार को बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने शोध कार्य करने की विधियों एवं सावधानियों पर शोधार्थियों को जागरूक करते हुये कहा कि शोध में श्रम की जरूरत है, यह महत्वपूर्ण कार्य है, केवल उपाधि के लिये शोध मत कीजिये। समाज में जाति, धर्म एवं भाषा के आधार पर समस्याएं पैदा  हो रही हैं। नैतिकता का ह्रास हो रहा है। आज इन समस्याओं पर चिंतन, मंथन और शोध की जरूरत है। उन्होंने  शोध की गुणवत्ता पर बल देते हुये कहा कि शोध का अवसर पाने वाले बहुत भाग्यशाली होते हैं।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने अन्तर्राष्ट्रीय परिवेश में बदलते आयाम पर शोधार्थियों के समक्ष एक समग्र आकलन प्रस्तुत किया। उन्होंने देश के मानव संसाधन, आधारभूत संरचना का विकास, आधार क्षेत्र पर ध्यान, क्रय शक्ति बढ़ाने पर जोर, कृषि आधार, घरेलू बाजार के विकास, घरेलू उपयोग का आकलन, पूँजी निवेश में समन्वय, खाद्यान्न, उर्जा सुरक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय में शोधार्थियों का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि 1992 के बाद समाज में आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं तकनीकी परिवर्तन हुये हैं। सबसे बड़ा परिवर्तन सूचना के क्षेत्र में हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में एलीफैन्ट अर्थव्यवस्था है, इसके कारण हम मजबूत स्थिति मे हैं। विश्व की अर्थव्यवस्था में भारत मजबूत भागीदार है। आज हमारे देश में आनलाइन शापिंग हो रही है। बदलते हुये परिवेश में अर्थव्यवस्था की परिभाषाएॅ बदल गयी हैं। उनका मानना है कि शोध का मतलब सम्बन्धित क्षेत्र की विशेषज्ञता है। उन्होंने कहा कि पी-एच.डी. की उपाधि सबसे बड़ी उपाधि है। इसके लिये विषय के प्रति पूर्ण समपर्ण, मेहनत एवं ईमानदारी की जरूरत है। शोधार्थी को विषय के सभी आयामों को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए।

तकनीकी सत्र को सम्बोधित करते हुये मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद के विभागाध्यक्ष डा. तनुज नन्दन ने शोध विधियों में एस.पी.एस.एस. के उपयोग, उपयोगिता एवं आंकडों के विश्लेषण के महत्व पर चर्चा की। 
इस अवसर पर डा. राजीव प्रकाश सिंह, डा. समर बहादुर सिंह, डा. विजय सिंह, डा. राकेश सिंह, डा. पी.के. सिंह, डा. जे.पी.एन. सिंह, डा. मानस पाण्डेय, डा. रामनारायण, डा. प्रदीप कुमार, डाॅ. मनोज मिश्र, डा. रशिकेश, डा. नुपूर तिवारी, डा. आशुतोष सिंह, डा. दिग्विजय सिंह राठौर,  डा. अवध बिहारी सिंह, डा. सुनील कुमार, डा रूश्दा आजमी, डा. आलोक गुप्ता, डा. सुशील सिंह, डा. आलोक सिंह, डा. परमेन्द्र सिंह, रामजी सिंह, डा. के.एस. तोमर, श्याम त्रिपाठी, रजनीश सिंह, अशोक सिंह सहित विश्वविद्यालय के शोधार्थी एंव प्रतिभागी मौजूद रहे। संचालन संकायाध्यक्ष डा. एच.सी. पुरोहित ,स्वागत   आयोजन सचिव  डा. वन्दना राय द्वारा एवं आभार डॉ आशुतोष सिंह द्वारा  किया गया।




अंतरराष्ट्रीय योग दिवस




 वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के ओपन थिएटर में मंगलवार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया.परिसर के शिक्षक, कर्मचारी समेत  क्षेत्रीय नागरिकों ने बढ़ चढ़ कर भाग  लिया। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ चिकित्सक क्षितिज़ शर्मा ने कहा कि अासन, ध्यान और प्राणयाम से मनुष्य को बीमारियों से मुक्ति मिल सकती है.योग से शारीरिक विकृतियों से साथ ही साथ मानसिक विकृतियों से भी निजात मिलती है.

कुलपति प्रो पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि योग से सकारात्मक सोच व सृजन क्षमता का विकास होता है. विश्वविद्यालय योग के प्रति गंभीर है. इस दिशा मे योग को खेल प्रतियोगिताओं का हिस्सा बनाया गया है.परिसर के छात्रावासों एवं अन्य संस्थानों में  योग के कार्यक्रमों को अायोजित किया जाता रहा है. अाज के दिन योग को जीवन से जोड़ने का हम सभी को संकल्प लेना चाहिए।

अायुष मंत्रालय के प्रोटोकाल के अनुसार योगाचार्य अमित अार्य ने योग कराया।इसके साथ ही योग की अलग अलग मुद्राओं के लाभ को भी बताया। योग प्रशिक्षक रवि गुप्ता ने भी योग के कई पहलुयों पर प्रकाश डाला। योग समिति के डॉ वी डी शर्मा ने अाभार एवं प्रबंध संकायाध्यक्ष डॉ एच  सी पुरोहित ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर वित्त अधिकारी एम के सिंह, डॉ एम हसीन खान,डॉ अवध बिहारी सिंह,डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, विनय वर्मा, डॉ मनोज तिवारी, एम एम भट्ट, संजय श्रीवास्तव, अशोक सिंह, रजनीश सिंह, राजेश जैन, जगदंबा मिश्रा, सुशील प्रजापति समेत तमाम लोग मौजूद रहे.



Monday 20 June 2016

रन फॉर योग




वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर योग को मन से जोड़ने के लिए दौड़ लगाई गई।विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पीयूष रंजन अग्रवाल ने हरी झंडी दिखाकर दौड़ की शुरुआत कराई। इसदौड़ में विश्वविद्यालय के शिक्षक,कर्मचारी, आवासीय परिसर की महिलाएं,बच्चे, राष्ट्रीय सेवायोजना,रोवर्स रेंजर्स  के कार्यक्रम अधिकारीयों ने भाग लिया। 
रन फॉर योग कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ देवराज, वित्त अधिकारी डॉ एम के सिंह, उप कुलसचिव संजीव सिंह, टी बी सिंह ने भी प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। कुलपति प्रो पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा क़ि योग से तन और मन दोनों की शुद्धि होती है । इसके पश्चात परिसर में एक छात्र एक पेड़ अभियान के अंतर्गत पौधरोपण किया गया। ओपन थिएटर में सांस्कृतिक कार्यक्रम किये गए। सञ्चालन डॉ एच सी पुरोहित एवम् संजय श्रीवास्तव द्वारा किया गया। इस अवसर पर योग समिति के डॉ वी डी शर्मा, डॉ मनोज मिश्र, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, एम एम भट्ट रजनीश सिंह, अशोक सिंह ने कार्यक्रम का संयोजन किया। कार्यक्रम में डॉ0 मानस पाण्डेय, डॉ एम हसीन खान  डॉ आशुतोष सिंह, डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ मनोज तिवारी, डॉ के एस तोमर, राजेश जैन, सुशील प्रजापति,श्याम श्रीवास्तव, पंकज सिंह समेत तमाम लोग मौजूद रहे

Saturday 11 June 2016

व्यावसायिक शिक्षा में शोध के उभरते आयाम विषयक गोष्ठी


 विश्वविद्यालय के संकाय भवन के कांफ्रेंस हॉल में व्यावसायिक शिक्षा में शोध के उभरते आयाम विषयक गोष्ठी का शुक्रवार को आयोजन किया गया. इस गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के पूर्व प्रोफ़ेसर बीपी सिंह कहा कि आज व्यवसायिक शिक्षा में शोध के नए नए आयाम उभर रहे है. शोधार्थियों  को बाजार में हो रहे परिवर्तनों पर नजर रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शोध समुद्र में गोता लगाकर एक मोती खोजने के समान है.शोध में पहले से मौजूद ज्ञान को एक नए दृष्टिकोण से देखने का प्रयास किया जाता है और नए ढंग से व्याख्या की जाती है. शोध के लिए ऐसे विषय का चयन करना चाहिए जो कि ज्ञान के क्षेत्र को एक नया आयाम दे.




गोष्ठी में प्रबंध अध्ययन संकाय के  शोधार्थी निवेदिता वर्मा, गरिमा आनंद एवं वर्षा ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया।
 प्रबंध संकायाध्यक्ष डॉ एच सी पुरोहित  ने कहा कि वित्त प्रबंधन के क्षेत्र में निरन्तर परिवर्तनहो रहे है. मुद्रा बैंक, स्टार्टअप इंडिया प्रोजेक्ट, मेक इन इंडिया आदि सरकार के नवीनतम कार्यक्रम है जो कि आर्थिक विकास और सामाजिक परिवर्तन में बड़ी भूमिका अदा करेंगे।इन कार्यक्रमों के प्रभाव एवं उपयोगिता को भी शोध का विषय बनाया जा सकता है. इस अवसर पर डॉ मानस पांडेय, डॉ अजय प्रताप सिंह, डॉ अविनाश पाथर्डिकर, डॉ वी डी शर्मा, डॉ वंदना राय, डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ प्रदीप कुमार, डॉ आशुतोष सिंह,डॉ  रसिकेश,  डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ अलोक सिंह,परमेंद्र विक्रम सिंह, राजेश कुमार समेत विभिन्न संकायों  शोधार्थी एवं शिक्षक मौजूद रहे.