Tuesday 21 June 2016

शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर एप्लीकेशन विषयक कार्यशाला





 वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान स्थिति शोध एवं नवाचार केन्द्र में बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय, गया के प्रति कुलपति प्रो. ओ.पी. राय ने कहा कि शोध समाधान के लिये किया जाना चाहिये। कोई भी शोध आपकी पूरी जिन्दगी को बदल सकता है। उनका मानना है कि जो शोध अब तक हुये हैं उसकी उपयोगिता एवं महत्व पर भी शोध करने की जरूरत है।
प्रोफेसर राय शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर एप्लीकेशन विषयक  कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मंगलवार को बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने शोध कार्य करने की विधियों एवं सावधानियों पर शोधार्थियों को जागरूक करते हुये कहा कि शोध में श्रम की जरूरत है, यह महत्वपूर्ण कार्य है, केवल उपाधि के लिये शोध मत कीजिये। समाज में जाति, धर्म एवं भाषा के आधार पर समस्याएं पैदा  हो रही हैं। नैतिकता का ह्रास हो रहा है। आज इन समस्याओं पर चिंतन, मंथन और शोध की जरूरत है। उन्होंने  शोध की गुणवत्ता पर बल देते हुये कहा कि शोध का अवसर पाने वाले बहुत भाग्यशाली होते हैं।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने अन्तर्राष्ट्रीय परिवेश में बदलते आयाम पर शोधार्थियों के समक्ष एक समग्र आकलन प्रस्तुत किया। उन्होंने देश के मानव संसाधन, आधारभूत संरचना का विकास, आधार क्षेत्र पर ध्यान, क्रय शक्ति बढ़ाने पर जोर, कृषि आधार, घरेलू बाजार के विकास, घरेलू उपयोग का आकलन, पूँजी निवेश में समन्वय, खाद्यान्न, उर्जा सुरक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय में शोधार्थियों का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि 1992 के बाद समाज में आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं तकनीकी परिवर्तन हुये हैं। सबसे बड़ा परिवर्तन सूचना के क्षेत्र में हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में एलीफैन्ट अर्थव्यवस्था है, इसके कारण हम मजबूत स्थिति मे हैं। विश्व की अर्थव्यवस्था में भारत मजबूत भागीदार है। आज हमारे देश में आनलाइन शापिंग हो रही है। बदलते हुये परिवेश में अर्थव्यवस्था की परिभाषाएॅ बदल गयी हैं। उनका मानना है कि शोध का मतलब सम्बन्धित क्षेत्र की विशेषज्ञता है। उन्होंने कहा कि पी-एच.डी. की उपाधि सबसे बड़ी उपाधि है। इसके लिये विषय के प्रति पूर्ण समपर्ण, मेहनत एवं ईमानदारी की जरूरत है। शोधार्थी को विषय के सभी आयामों को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए।

तकनीकी सत्र को सम्बोधित करते हुये मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद के विभागाध्यक्ष डा. तनुज नन्दन ने शोध विधियों में एस.पी.एस.एस. के उपयोग, उपयोगिता एवं आंकडों के विश्लेषण के महत्व पर चर्चा की। 
इस अवसर पर डा. राजीव प्रकाश सिंह, डा. समर बहादुर सिंह, डा. विजय सिंह, डा. राकेश सिंह, डा. पी.के. सिंह, डा. जे.पी.एन. सिंह, डा. मानस पाण्डेय, डा. रामनारायण, डा. प्रदीप कुमार, डाॅ. मनोज मिश्र, डा. रशिकेश, डा. नुपूर तिवारी, डा. आशुतोष सिंह, डा. दिग्विजय सिंह राठौर,  डा. अवध बिहारी सिंह, डा. सुनील कुमार, डा रूश्दा आजमी, डा. आलोक गुप्ता, डा. सुशील सिंह, डा. आलोक सिंह, डा. परमेन्द्र सिंह, रामजी सिंह, डा. के.एस. तोमर, श्याम त्रिपाठी, रजनीश सिंह, अशोक सिंह सहित विश्वविद्यालय के शोधार्थी एंव प्रतिभागी मौजूद रहे। संचालन संकायाध्यक्ष डा. एच.सी. पुरोहित ,स्वागत   आयोजन सचिव  डा. वन्दना राय द्वारा एवं आभार डॉ आशुतोष सिंह द्वारा  किया गया।




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