Sunday 26 June 2016

शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर अनुप्रयोग विषयक कार्यशाला समापन सत्र


 विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान स्थित कांफ्रेस हाल में सामाजिक विज्ञान संकाय के शोधार्थियों को सम्बोधित करते हुये इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इतिहास विभाग के प्रो. हेरम्ब चतुर्वेदी  ने कहा कि प्रत्येक काल-खण्ड की अपनी भाषा और शब्दावली हुआ करती है। शोध में इसका ख्याल रखना जरूरी है।
प्रो. चतुर्वेदी  शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर अनुप्रयोग विषयक कार्यशाला में रविवार  को समापन सत्र में  विश्वविद्यालय के शोधार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अपने शोध समय के समकालीन कालजयी रचनाकारों के साहित्य का अवलोकन भी करते रहे, इससे उत्कृष्ट शोध प्रबंध लेखन में मद्द मिलेगी। शोध परिकल्पना एवं शोध प्राविधि में समसामयिक दौर की रचनाओं के अध्ययन को भी शामिल करने की जरूरत है। समग्र अध्ययन करने से ही अपने उदे्श्य की प्राप्ति होगी। उन्होंने कहा कि दुनिया की अन्य संस्कृतियों का निदर्शन संग्रहालय एवं पुस्तकों में हैं वही भारत की पुरातन संस्कृति आज भी सर्वत्र परिलक्षित है। 

  इसके पूर्व कार्यशाला के तकनीकी सत्र में विद्वान विषय विशेषज्ञ इलाहाबाद डिग्री कालेज के डा0 अतुल सिंह द्वारा शोधार्थियों को शोध पत्र लेखन में सांख्यिकी, डाटा एनालिसिस, डाटा प्रजेंटेशन एवं एस.पी.एस.एस. आदि पर सारगर्भित जानकारी दी गयी। 

पुस्तकालय में आये हुए सभी शोधार्थियों को सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के डा0 एच0 के0 चक्रवर्ती एवं डा0 विद्युत कुमार मल  ने शोध लेखन हेतु वेबसाइट एवं इन्टरनेट  पर उपलब्ध महत्वपूर्ण स्रोतो पर चर्चा की। 

  इस अवसर पर प्रो0 डी0डी0 दूबे,  डा0 ए0 के0 मिश्र, डा0 अविनाश पाथर्डिकर, डा0 मनोज मिश्र, डा0 सुशील सिंह, डा0 अवध बिहारी सिंह, डा0 आलोक सिंह, डा0 परमेन्द्र विक्रम सिंह, डा. रूश्दा आजमी, श्याम श्रीवास्तव, आनन्द सिंह, करूणा निराला,  आशुतोष सिंह, पंकज सिंह, सहित विश्वविद्यालय के शोधार्थी मौजूद रहे। समापन  सत्र पर सभी शोधार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। संचालन डा. आशुतोष सिंह स्वागत आयोजन सचिव  डा0 वन्दना राय एवं आभार समन्वयक डा. राकेश सिंह द्वारा किया गया।


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