Tuesday 22 September 2015

पीयू में फार्मासिस्ट दिवस समारोह का हुआ समापन


समाज के वंचित लोगों को मुख्य धारा से जोड़े : कुलपतिसमाज के दर्द को समझें फार्मासिस्ट: डा. शरद



 विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान में मंगलवार को दो दिवसीय फार्मासिस्ट दिवस समारोह का समापन हुआ। दो दिवसीय समारोह के पहले दिन फार्मेसी संस्थान के विद्यार्थियों ने दवाओं के निर्माण, उपयोग, प्रभाव एवं दुष्प्रभाव पर माॅडल निर्मित कर संदेश दिया। वहीं दूसरे दिन विश्वविद्यालय से सटे देवकली गांव पहुंचकर ग्रामीणों को जागरूक किया।
मंगलवार को फार्मेसी संस्थान के निदेशक के नेतृत्व में विद्यार्थी रैली निकालकर देवकली गांव पहुंचे। वहां ग्रामीणों का ब्लड प्रेशर, शुगर, वजन, बच्चों के कुपोषण की जांच की तथा आवश्यक ओ.टी.सी. दवाएं निःशुल्क वितरित की। संस्थान से जनजागरूकता रैली में छात्रों के हाथ में स्वास्थ्य, पर्यावरण, टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की देख रेख, कुपोषण से बचाव, साफ-सफाई, प्रदूषण आदि विषयों पर जागरूकता के लिए तख्तियां थी। विद्यार्थियों ने ग्रामीणों से इन विषयों पर बात की और उनके सवालों का जवाब भी दिया। छात्राओं ने महिलाओं एवं बच्चियों से मिलकर उनसे स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा की।
रैली का समापन विश्वविद्यालय परिसर में वीर बहादुर सिंह प्रतिमा के पास हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि कोई समाजसेवा कृत्रिम नहीं दिखनी चाहिए। समाज के वंचित व पिछड़े लोगों को जागरूक करने के साथ मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास हमें अपने स्तर पर करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में फार्मासिस्टों का बहुत बड़ा योगदान है। उनके बिना सरल चिकित्सा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हमारे मन में सदैव सेवा का भाव होना चाहिए। 
समारोह के अंतिम सत्र में राष्ट्रीय वनस्पति, अनुसंधान संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डा. शरद श्रीवास्तव ने आयुर्वेद एवं आधुनिक तकनीकी विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि फार्मासिस्ट के बिना नई दवाओं की उत्पत्ति एवं विकास संभव नहीं है। फार्मासिस्टों का दायित्व बनता है कि वह समाज के दर्द को समझकर अपना कार्य करें। उन्होंने कहा कि ऋषि मुनियों के जमाने से जो ज्ञान अर्जित है उसमें आधुनिक विज्ञान के सहयोग से किसी भी मर्ज को ठीक करने के लिए नई दवा की उत्पत्ति की जा सकती है। हमारे देश में आयुर्वेद बहुत लम्बे समय से जनउपयोगी रहा है। आज हमारे देश में आयुर्वेद के सम्बन्ध में बहुत सारे शोध हो रहे है। विलुप्त हो रही जड़ी बूटियों के लिए बड़े स्तर पर प्रयास चल रहे है। फार्मेसी संस्थान के निदेशक प्रो. एके श्रीवास्तव ने विद्यार्थियों से सदैव नैतिक मूल्यों के साथ फार्मासिस्ट की जिम्मेदारी निभाने की अपील की। 
संचालन सुरेंद्र कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन धर्मेंद्र सिंह ने किया। इस अवसर पर आयोजन सचिव नृपेंद्र सिंह, डा. राजेश शर्मा, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, आशीष गुप्ता, राजीव कुमार, विनय वर्मा, आलोक दास, झांसी मिश्रा, विजय बहादुर समेत विद्यार्थी मौजूद रहे।

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