Saturday 12 September 2015

युवाओं के लिए विववेकानन्द सदा प्रेरणा के स्रोत


  • स्वामी जी के शिकागो उद्बोधन दिवस पर कार्यक्रम
  • स्वामी जी के मूर्ति के समक्ष 11 सितम्बर 1893  के शिकागो उद्बोधन को पढा गया
  • विवेकानंद के विचार पर आधारित व्यक्तित्व का विकास पुस्तक का हुआ वितरण

विश्वविद्यालय में शुक्रवार को स्वामी विवेकानंद के विश्व धर्म सम्मलेन शिकागो में  उद्बोधन दिवस के अवसर पर परिसर के विद्यार्थियों एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवक- सेविकाओं को विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो बी बी तिवारी ने विवेकानंद के विचार पर आधारित व्यक्तित्व का विकास पुस्तक वितरित की.यह पुस्तक भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय की ओर से विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराई गई है. 


इस अवसर पर प्रो तिवारी ने विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के समीप स्थित शिकागो उद्बोधन शिलापट्ट के समक्ष विद्यार्थिओं को समाज के लिए जीने का संकल्प दिलवाया। उन्होंने कहा कि स्वामी जी युवाओं के सदा प्रेरणा के स्रोत रहेंगे।उनके विचारों को आत्मसात कर लक्ष्य प्राप्ति की जा सकती है.शिकागो सम्मलेन में स्वामी जी के कुछ ही समय के सम्बोधन ने भारत को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर मजबूती प्रदान की थी.इससे पुरे विश्व में हिंदुस्तान का नाम रोशन हुआ. विश्वविद्यालय में स्थापित स्वामी जी का यह शिकागो उद्बोधन शिलापट्ट सदैव युवाओं में ऊर्जा का संचार करता रहेगा।




इसके पूर्व विद्यार्थिओं ने पद यात्रा कर विवेकानंद केंद्रीय पुस्तकालय स्थित स्वामी जी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया। डॉ बी डी शर्मा ने कहा कि विवेकानंद शिकागो सम्मलेन में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। उनके अमेरिकी भाइयों और बहनों के उद्बोधन करते ही पूरे धर्म स्थल तालियों से गूंज गया। उन्होंने भारत में भी धर्म जाति से हट  कर एक नए समाज की अवधारणा विकसित की।डॉ शर्मा ने स्वामी जी के मूर्ति के समक्ष 11  सितम्बर 1893  के शिकागो उद्बोधन को पढा।

कार्यक्रम के संयोजक  प्राध्यापक  डॉ राजकुमार सोनी ने कहा कि अहं का त्याग कर समाज की सेवा के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए।कार्यक्रम का संचालन  डॉ दिग्विजय सिंह राठौर ने किया। इस अवसर पर डॉ संतोष कुमार, डॉ रवि प्रकाश,डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ सुनील कुमार, रघुनंदन समेत विश्विद्यालय के विभिन्न संकायों के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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सांख्यकीय के ज्ञान के बिना शोध पूर्ण नहीं

विश्वविद्यालय में शुक्रवार को संकाय भवन के कॉन्फ्रेंस हॉल में व्यवहारिक मनोविज्ञान विभाग द्वारा सामजिक विज्ञान एवं सांख्यकीय विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गयाव्याख्यान में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर के मनोविज्ञान विभाग के प्रो एन एस तुंग ने कहा कि  सांख्यकीय के ज्ञान के बिना शोध पूर्ण नहीं हो सकता। शोध प्रश्नों का  उत्तर सांख्यकीय के माध्यम से सरलता से दिया जा सकता हैसांख्यकीय का सामजिक विज्ञान के साथ साथ अन्य विषयों में भी बड़े स्तर पर प्रयोग हो रहा है. तकनिकी के युग में सांख्यकीय के लिए  बहुत से सॉफ्टवेयर गए है. जिसके कारण शोध के आकड़ों का विश्लेषण सरल हो गया है. उन्होंने  भौतिकी एवं सामाजिक विज्ञान में शोध की विभिन्न विधियों के प्रयोग के विषय में विस्तार से चर्चा की. शोध में निदर्शन के चयन पर विशेष ध्यान देने पर बल दिया।

प्रो राम जी लाल ने भी विषय पर विचार दिया। संकायाध्यक्ष डॉ अजय प्रताप सिंह ने अतिथि का स्वागत एवं संचालन  डॉ अवध बिहारी सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रो आर एस सिंह, डॉ मनोज मिश्र, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ सुभाष, डॉ रुश्दा आज़मी,  डॉ सुनील कुमार समेत  विद्यार्थी उपस्थित रहे.



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