Friday 8 May 2015

पीएचडी कार्यक्रम के पुनरावलोकन पर कार्यशिविर


 विश्वविद्यालय के संकाय भवन स्थित कांफ्रेस हाल में पीएचडी कार्यक्रम के तौर-तरीकों एवं दिशा-निर्देशों के पुनरावलोकन पर विश्वविद्यालय द्वारा एक कार्यशिविर का आयोजन किया गया। इसमें शोध संबंधी प्रावधानों को सुचारु रुप से सम्पादित करने के लिए 10 समूह बनाये गये थे जिसमें विश्वविद्यालय पीएचडी अध्यादेश 2013 के अलग-अलग बिंदुओं पर यूजीसी रेगुलेशन एक्ट 2009 की परिधि में प्रभावी संशोधनों पर विचार-विमर्श किया गया। प्रत्येक समूह के संयोजकों ने विचार-विमर्श के बाद समूह के सुझावों को प्रस्तुत किया। इन सुझावों पर कार्य शिविर में उपस्थित सभी प्रतिभागियों से विचार आमंत्रित किये गये।

सुझाव के प्रमुख बिंदुओं में स्नातक स्तर के शिक्षकों को भी शोध निर्देशक बनाया जाना, अवकाश प्राप्त शिक्षकों को पूर्वत शोध निर्देशक बने रहने देना, एम.फिल को पीएचडी प्रवेश परीक्षा से छूट देने संबंधी सुझाव दिये गये। कोर्स वर्क सेंटर, शोध केंद्र, शोध प्रबंध का मूल्यांकन, शोध सलाहकार समिति, विभागीय शोध समिति आदि पर भी प्रतिभागियों ने अपने बहुमूल्य सुझाव दिये। कार्यशिविर में आमंत्रित बाह्य विशेषज्ञ दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के पूर्व डीन प्रो. वीपी सिंह, वनस्पति विज्ञान विभाग बीएचयू के प्रो. एके राय ने भी शोध की गुणवत्ता और शोध प्रक्रिया संपादित करने संबंधी सुझाव दिये। कार्य शिविर के सुझावों को विश्वविद्यालय के कुलपति को अग्रिम कार्यवाही हेतु सौंपा जाएगा। तद्नुसार नये शोध अध्यादेश की प्रक्रिया शुरु होगी। कार्यशिविर की अध्यक्षता कार्यक्रम संयोजक प्रो. डीडी दूबे ने किया। कार्यशिविर के समन्वयक प्रो. वीके सिंह एवं सहसमन्वयक डा. संगीता साहू ने कार्यशिविर की भूमिका पर प्रकाश डाला। कार्यशिविर के सह संयोजक प्राचार्य डा. यूपी सिंह  ने कार्यशिविर के आयोजन एवं कार्यबिंदुओं पर प्रकाश डाला। संचालन कार्यशिविर के सहसंयोजक डा. राकेश सिंह ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के शिक्षक डा. घनश्याम सिंह, डा. अनिल प्रताप सिंह, डा. देवेंद्र नाथ सिंह, डा. ब्रादी नाथ सिंह, डा. अखिलेश सिंह, डा. राममोहन सिंह, डा. केएन सिंह, डा. राघवेंद्र कुमार पाण्डेय, डा. हसीन खान, डा. ज्ञानानंद शुक्ला, डा. बृजेंद्र सिंह, डा. जेपीएन सिंह सहित तमाम प्रतिभागी उपस्थित रहे।


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