Sunday 22 March 2015

जैव प्रौद्योगिकी एवं मानव कल्याण विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन


विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलोजी विभाग के तत्वावधान में दिनांक 21 मार्च से चल रहे जैव प्रौद्योगिकी एवं मानव कल्याण विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन देश के विभिन्न भागों से आए हुए प्रतिभागियों ने कुल 55 शोध पत्र प्रस्तुत किए। संगोष्ठी भवन तथा संकाय भवन के कान्फं्रेस हाल में समानान्तर सत्रों के बीच आज प्रतिभागी वैज्ञानिकों ने पर्यावरणीय प्र्रदूषकों, उत्परिवर्तन, वाह्य आनुवंशिकीय कारकों के वंशानुगत प्रभावों पर अपने शोध पत्र पढे़। प्रो. वी. के सिंह एवं भारतीय विज्ञान कथा लेखन समिति के सचिव डा. अरविंद मिश्र की संयुक्त अध्यक्षता में कान्फं्रेस हाल की मुख्य प्रस्तुतियों में सी. एस. आई. आर लखनऊ के प्रोफेसर डी कर चौधरी , गोवा विश्वविद्यालय के  प्रोफेसर संतोष दुबे एवं बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की डा. कविता शाह के मुख्य संबोधनों में पर्यावरणीय प्रदूषकों और उनके नियंत्रण की जैव प्रौद्योगिकीय रणनीतियांे पर विशेष बल दिया गया। प्रोफेसर चौधरी नेे ड्रासोफिला मक्खी के माडल के जरिये यह प्रदर्शित किया कि कैसे लक्षित वंशाणु (जीन) मंे उत्परिवर्तन से उन्हें कतिपय बीमारियांे के प्रभाव से मुक्त किया जा सकता है। और इन परिणामों से मनुष्य के पार्किन्सन एवं एल्जाइमर जैसे स्नायुतन्त्रीय बीमारियों के इलाज की नई संभावनाएं जगी है। डा. संतोष दुबे ने अपने शोध के माध्यम से यह इंगित किया है कि कैसे समुद्री वातावरण में कई सूक्ष्मजीव स्वयं को हानिकारक प्रदूषणों से बचाते हैं और प्रतिरोधी क्षमता विकसित करते है। इस प्रक्रिया को मनुष्य के संदर्भ में अंगीकार करने के लिए संभावनाये हैं। डा. कविता शाह ने ऐसे जैव सूक्ष्म तरीेकों का जिक्र किया जिनसे फसल सुरक्षा एवं उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। अन्य शोध पत्रों में तैलीय प्रदूषणों सूक्ष्मजीवी निवारण, औद्योगिक प्रदूषण विभिन्न पौधों से औषधीय रसायनों के जैव प्रौद्योगिकीय उत्पादन, जैव प्लास्टिक, गंगा घाटों पर ठोस अपशिष्टों के जमाव प्रंबध और निस्तारण के विविध पहलुओं पर चर्चा की गई। 
सी.सी.एम.बी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. राकेश मिश्र, प्रो. डी.डी दूबे एवं आई.जी. आई बी नई दिल्ली के वैज्ञानिक डा. द्वैपायन भारद्वाज की संयुक्त अध्यक्षता में संगोष्ठी भवन में आयोजित समानान्तर सत्रों की मुख्य प्रस्तुतियों में बी एच यू के प्रो. राजीव रमन, आई.जी. आई. बी. नई दिल्ली के वैज्ञानिक डा. शान्तनु सेन गुप्ता, बी.एच.यू. के प्रो. जी नारायण, सी.डी.आर.आई के वैज्ञानिक डा. बीएन सिंह, पी.जी.आई लखनऊ की प्रो. शुभ राव फडके, जालमा आगरा के डा. यूडी गुप्ता एवं बी एच यू के प्रो. गोपाल नाथ ने अपने उत्कृष्ट शोध पत्र से सबको प्रभावित किया। 

 इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में कुल आठ सत्र संचालित किये गये जिसमें आणविक जैव प्रौद्योगिकी, जैव शुद्धिकरण, जैव प्रसंस्करण एवं सूक्ष्म जीव जैव प्रौद्योगिकी, बायोइनफारमेटिक्स एवं नैनो टेक्नोलाॅजी, चिकित्सकीय जैव प्रौद्योगिकी, जैव एवं पादप प्रौद्योगिकी, क्लीनिक बायोटेक्नोलाॅजी तथा पर्यावरण जैव प्रौद्योगिकी आदि शामिल है। 
इन सत्रांे मंे 18 राज्यों, विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों से आए हुए  वैज्ञानिक एवं शिक्षाविदों द्वारा कुल 200 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। संगोष्ठी की आयोजन सचिव डा. वंदना राय एवं डा. प्रदीप कुमार द्वारा आए समस्त प्रतिभागियांे एवं वैज्ञानिकांे का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया गया। आए हुए प्रतिभागियों ने इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए विश्वविद्यालय एवं आयोजकांे की जमकर तारीफ की एवं बायोटेक्नालाजी के क्षेत्र में इस आयोजन को मील का पत्थर बताया। विभिन्न समानान्तर तकनीकी सत्रों का संचालन डा. एच. सी. पुरोहित, डा. राजेश शर्मा एवं डा. एस. पी तिवारी ने किया। इस अवसर पर डा. अविनाश पाथर्डिकर, डा. मनोज मिश्र, डा. अवध बिहारी सिह, डा. कार्तिकेय शुक्ला, डा. सुधीर उपाध्याय, डा. विवेक पाण्डेय, ऋषि श्रीवास्तव, चंद्रशेखर सिंह मौजूद रहे। 
उत्कृष्ट शोधपत्र प्रस्तुत करने वालों में अनीता सिंह , विष्णु त्रिपाठी को   संयुक्त रूप से प्रथम व पोस्टर में शोध छात्र उपेंद्र यादव को प्रथम पुरस्कार दिया गया।





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