Friday 20 February 2015

एचआर कान्क्लेव-15 का आयोजन



जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में विष्वविद्यालय के इण्डस्ट्री इन्स्टीच्यूट इंटरफेस एवं एचआरडी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को एचआर काॅन्क्लेव-15 का आयोजन किया गया। इसका विषय ट्रांसफार्मेषनल एचआर फार सस्टेनबिलिटी रहा। काॅन्क्लेव में मानव संसाधन विकास के दिग्गजों ने नये दौर में आ रही चुनौतियों एवं रणनीतियों पर चर्चा की। काॅन्क्लेव में विष्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने विषेषज्ञों से सीधा संवाद स्थापित किया।
उद्घाटन सत्र में इंडोरामा प्रोजेक्ट एण्ड सर्विस लिमिटेड के एचआर डायरेक्टर हेमंत कुमार ने कहा कि समाज और संस्कृति की वैष्विक स्तर पर विविधता का प्रत्येक व्यक्ति से सम्बन्ध आवष्यक है। हर व्यक्ति के मूल्यों एवं परम्पराओं को पहचान कर उसका सम्मान कार्यस्थल पर आवष्यक है। हमारे समूह द्वारा नवनियुक्त कर्मियों को भारतीय मूल्यों के साथ प्रषिक्षित किया जाता है। प्रत्येक कर्मियों को समान अवसर एवं सम्मान के साथ व्यवहार करना आवष्यक है। उन्होंने कहा कि इंडारेमा उद्योग समूह में हम व्यक्ति को पहले उसके नाम से पुकारते है ताकि निकटता का रिष्ता कायम हो सके। उनका मानना है कि परिवर्तन के लिए हर व्यक्ति को तैयार रहना चाहिए क्योंकि यह संस्था और व्यक्ति दोनों के हित में है।

हिण्डालको के पूर्व महाप्रबंधक एमएन खान ने स्वयं को विकसित करने का माॅडल सुझाया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को यह जानना चाहिए कि मैं कौन हूं, कहां जा रहा हूं, मुझे क्या होना चाहिए, मैं जीवन में क्या बनना चाहता हूं, इसका आत्म निरीक्षण करना आवष्यक है। जिस व्यक्ति को अपने लक्ष्य और क्षमताओं की परख नहीं होती। वह व्यक्ति सही दिषा में नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि बिना लक्ष्य पहचाने इंसान का कोई वजूद नहीं है। उन्होंने साक्षात्कार में सफल होने के गुर सिखाये।

आईआईटी रूड़की के प्रबंध अध्ययन के प्रो. संतोष रागनेकर ने नेतृत्व विकास के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाष डाला। उन्होंने कहा कि सृजन भक्ति, मानवता, नेटवर्किंग, मानवीय मूल्य तथा अंतरंगता किसी भी नेतृत्व विकास के लिए आवष्यक है। इसके लिए अभिप्रेरक, संवादकला, अनुषासन, ज्ञान, कौषल की आवष्यकता है। यह तभी संभव है जब लोग प्रषिक्षण कार्यक्रम में भाग ले। बदलते परिवेष में तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ कौषल विकास के प्रबंधन के गुणों को विकसित किया जाना आवष्यक है, तभी आप उपाधि प्राप्त करने के बाद भी अपने को दूसरों से अलग सिद्ध कर सकते है। 
कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि विश्व  बाजार में लगातार समय समय पर बदलाव हो रहे है। जिसका अर्थव्यवस्था पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है। आज भारत के उद्योग एवं व्यवसाय को जिन्हें देष के संदर्भ में नहीं देखा जा सकता हमें विष्व के संदर्भ में इसे देखना होगा। आज तकनीकी के प्रयोग के कारण उपभोक्ताओं में कई प्रकार की समानताएं हो रही है परन्तु उनकी अपने समाज और संस्कृति के साथ तकनीकी का समावेष कैसे करें, यह एचआर मैनेजर के लिए प्रमुख चुनौती है। भारत के संदर्भ में मानव संसाधन प्रबंधन की जिम्मेदारी काफी बड़ी है और उनको समाज की विविधता के मद्देनजर अपने आप को एक उत्तम संस्थान के रूप में विकसित करना भी होता है।
एचआरडी विभाग की अध्यक्ष डा. संगीता साहू ने काॅन्क्लेव में आये अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि मानव संसाधन की आज के दौर में क्या आवष्यकता है। उन्होंने कहा कि समय के बदलाव के साथ-साथ सोच में भी बदलाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उद्योग प्रबंधन और षिक्षण में सामंजस्य की आवष्यकता है।

 
प्रबंध संकाय के अध्यक्ष एचसी पुरोहित ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि इस काॅन्क्लेव से विष्वविद्यालय के विद्यार्थी ही नहीं पूरा विष्वविद्यालय समुदाय लाभान्वित होगा। उन्होंने कहा कि मानव संसाधन की भूमिका मात्र संस्था प्रबंधन तक ही सीमित नहीं है। इसके लिए उपभोक्ता संतुष्टि, उत्पादकता एवं राजस्व बढ़ोत्तरी का काम भी महत्वपूर्ण है। कर्मचारियों की सकारात्मक धारणा इसमें मददगार होती है। 
स्टील अथारिटी आॅफ इण्डिया के पूर्व कार्यकारी निदेषक वीके धवन ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति मानव संसाधन प्रबंधक है, चाहे हम किसी भी रूप में हो कोई न कार्य अवष्य करते है। कार्य के प्रति तनमन्यता से हम सफल और असफल प्रबंधक बनते है। उन्होंने मानव संसाधन प्रबंधन के इतिहास पर प्रकाष डाला। 
दिल्ली स्कूल आफ इकोनामिक्स दिल्ली विष्वविद्यालय डा. अजय सिंह ने कहा कि संस्थान को मन, कर्म और वचन से ही संचालित किया जा सकता है। परिवर्तन के दौर में विज्ञान तकनीकी के अविष्कार ने नये तरह की कार्य संस्कृति और कार्य प्रक्रिया को जन्म दिया है जिसकी हम कभी कल्पना नहीं कर सकते थे। उन्होंने कहा कि हमें कार्य क्षेत्र पर स्ट्रेस फ्री होकर कार्य करना चाहिए। अगर काम को बोझ समझेंगे थोड़े ही देर में तनावग्रसित हो जाएंगे।

भारतीय प्रशिक्षण  एवं विकास संस्था के चेयरमैन प्रमोद चतुर्वेदी ने कार्पोरेट जगत में प्रषिक्षण के फायदे और आईएसटीडी द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों की विस्तार से प्रस्तुति दी। विष्वविद्यालय इण्डस्ट्री इंटरफेस के समन्वयक डा. संदीप कुमार सिंह ने कहा कि छात्रों को प्रबंधन की कला और कौषल को विकसित करना होगा। ताकि व्यवसाय प्रबंधन में मददगार हो सके।
काॅन्क्लेव में कुलसचिव डा. वीके पाण्डेय, वित्त अधिकारी अमरचंद्र, प्रो. डीडी दूबे ने अतिथियों को अंगवस्त्रम्, स्मृति चिन्ह एवं बुके भेंट कर सम्मानित किया। इसके पूर्व जनसंचार विभाग द्वारा मानव संसाधन विकास विभाग पर डा. दिग्विजय सिंह राठौर द्वारा निर्मित डाक्यूमेंट्री प्रदर्षित की गयी। समारोह का संचालन आयोजन सचिव डा. अविनाष डी. पाथर्डिकर ने किया।
इस अवसर पर प्रो. आरएस सिंह, प्रो. बीबी तिवारी, प्रो. रामजी लाल, प्रो. वीके सिंह, डा. अजय प्रताप सिंह, डा. मानस पाण्डेय, डा. रामनारायण, डा. एके श्रीवास्तव, डा. वीडी शर्मा, डा. वंदना राय, डा. एसपी तिवारी, डा. प्रदीप कुमार, डा. सुनील कुमार, डा. राजकुमार, डा. आषुतोष सिंह, डा. अमरेंद्र सिंह, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. रूष्दा आजमी, अंषुमान, डा. सुषील सिंह समेत विष्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के षिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।  

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