Tuesday 11 February 2014

इमरजिंग ट्रेड इन एप्लायड साइकालाजी विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू


'आज जरूरत है कि सांस्कृतिक  व आर्थिक मूल्यों के बीच समन्वय स्थापित किया जाय'
                       कुलपति प्रो0 पीयूष रंजन अग्रवाल 

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय के व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इमरजिंग ट्रेड इन एप्लायड साइकालाजी विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन मंगलवार को संगोष्ठी भवन में हुआ। इस अवसर पर मनोविज्ञान विभाग को उनके उत्कृष्ट शोध के लिए अमेरिका की काउंसिल फार एक्रिडिएशन एण्ड रिलेटेड एजुकेशनल प्रोग्राम की मुख्य कार्याधिकारी करोल एल बाबी द्वारा कुलपति प्रो0 पीयूष रंजन अग्रवाल को एप्लायड साइकालाजी विभाग की अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता का प्रमाणपत्र सौंपा गया।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए करोल एल बाबी ने कहा कि विश्वस्तर पर चलने वाले विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमो के मूल्यांकन का लाभ यह है कि इससे पाठ्यक्रम की वैधता विश्वस्तर पर होती है और एक विश्वविद्यालय के छात्र दूसरे विश्वविद्यालय में जाकर शिक्षा ग्रहण कर सकते है। 
 विशिष्ट अतिथि इंटरनेशनल रजिस्ट्री आफ द काउंसलर एजुकेशन के अध्यक्ष डा0 चाल्र्स रिक ग्रेसार्ड ने काउंसिंलिंग पाठ्यक्रम के मूल्यांकन  की उपयोगिता के बारे मे बताते हुए कहा कि इससे छात्रों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी।
विभाग के पूर्व छात्र व साउथ डकोटा विश्वविद्यालय अमेरिका के डा0 सचिन जैन ने कहा कि  काउंसिलिंग के माध्यम से हम समाज के बंचित एवं मुख्य धारा से कटे लोगों को समाज के साथ जोड़ सकते है तथा उन्हें सामान्य जीवन जीने में मदद कर सकते है। डा जैन ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय मान्यताका यह प्रतिफल है कि अमेरिका के कई विश्वविद्यालय एप्लायड साइकालाजी विभाग के साथ संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम संचालित करना चाहते है। 
सम्बोधित करते कुलपति प्रो पीयूष रंजन अग्रवाल 

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो0 पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि धन का पलायन पूरब से पश्चिम की तरफ हो रहा है और संस्कृति पश्चिम से पूरब की तरफ आ रही है। जब भी व्यवस्था में असंतुलन होगा वह समाज के लिए कहीं से हितकारी नहीं होगा। आज जरूरत है कि सांस्कृतिक  व आर्थिक मूल्यों के बीच समन्वय स्थापित किया जाय। निरोग समाज की स्थापना के लिए हमें सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक मूल्यों से जुड़ना होगा। 

उन्होंने कहा कि हमारे देश में जो परम्परा थी उनमें भावनाओं और संस्कृतियों के आदान प्रदान से व्यक्तियों की मनोदशा स्वस्थ्य बनी रहती थी जो हमें विकट परिस्थितियों से निपटने में मजबूती प्रदान करत़ी थी। 
स्वागत भाषण देते हुए राष्ट्रीय संगोष्ठी के निदेशक एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रो0 राम जी लाल ने सगोष्ठी पर प्रकाश डाला एवं विभाग की गतिविधियों को प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डाॅ0 अजय प्रताप सिंह एवं संचालन डा0 एच0सी पुरोहित ने किया।
उद्घाटन सत्र के बाद आयोजित न्यूहारिजन्स इन काउंसलिंग,प्रमोटिंग हेल्थ एण्ड वेल विइंग,इमरजिंग टेन्ड्स इन साइको थिरेपी एण्ड काउंसिंलिंग विषयक तकनीकी सत्रों में प्रो0जान बेबी,प्रो0पी0सी0मिश्रा,प्रो0मुक्ता रानी रस्तोगी, प्रो0 एन0एस0तुंग ,प्रो0आर0एस0 सिंह, प्रो0 अजय तिवारी, प्रो0पी0एस0एन तिवारी, डा0उषा टिक्कू, डा0 कल्पना जैन, डा0  अंजलि गुप्ता डा0  अवनीश अग्रवाल आदि विषय विशेषज्ञो ने व्याख्यान दिया। चतुर्थ सत्र में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिभागियों ने सोलह शोध पत्र प्रस्तुत किया जिसमें व्यवहारिक मनोविज्ञान के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला गया। 
उद्घाटन सत्र के अवसर पर प्रो0बी0बी0तिवारी, प्रो0वी0के0सिंह, प्रो0 ए0के0 श्रीवास्तव डा0 अशोक श्रीवास्तव,डा0 वन्दना राय, डा0 रामनरायन, डा0 संदीप सिंह डा0 एस0पी0तिवारी, डा0 अविनाश पार्थिडेकर, डा0  संगीता साहू, डा0 मनोज मिश्र,डा0  अवध बिहारी सिंह,डा0 दिग्विजय सिंह राठौर समेत देश के विभिन्न प्रदेशों के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के प्रतिभागी गण मौजूद रहे।
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दूसरा दिन 


जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय के व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इमरजिंग ट्रेड इन एप्लायड साइकालाजी विषयक दो दिवसीय अन्तराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में समुदाय मनोविज्ञान की चुनौतिया,जम्मू से आईं डा उषा टिक्कू की अध्यक्ष्ता में संचालित हुआ इस सत्र में रीवा विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश के प्रो0आर0एस0 सिंह ने सामुदायिक परामर्श के सन्दर्भ में भारतीय चिन्तन में उपलब्ध ज्ञान के आधर पर परामर्श की विधा विकसित करने पर बल दिया। इसी सत्र में गाजीपुर से अये डाॅ0 अमरनाथ राय ने समुदाय के विकास हेतु स्कूलों में बच्चों के सम्यक विकास हेतु परामर्श प्रक्रिया की चर्चा करते हुए इस बात के महत्व को समझाने का प्रयास किया कि इस कार्य में शिक्षक अभिवावक तथा मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता तीनो का परस्पर सहयोग अपेक्षित है साथ ही देश में परामर्श दाताओं की कम संख्या को देखते हुए मनोवैज्ञानिक परामर्श दाताओंका एक दयित्व स्कूल में कार्यरत शिक्षकों को प्रशिक्षित कर परामर्श देने में सक्षम बनाना भी है।
   इस दिन के दूसरे सत्र में सत्र की अध्यक्षता उदयपुर से आयीं डा कल्पना जैन ने किया इस सत्र में संगठनात्मक व्यवहार ओर मानव संसाधन  प्रबन्धन समबन्धित समकालीन मुद्दों को रेखांकित किया गया  वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय की संगीता साहू ने वैश्वीकरण के सन्दर्भ में मानव संसाधन प्रबन्धन समबन्धित समस्याओं और चुनौतियों की ओर इंगित किया। इसी सत्र में मनोविज्ञान विभाग के डाॅ0 अजय प्रताप सिंह ने संगठनातमक व्यवहार के क्षेत्र में किये जा रहे शोध की समस्याओं और उनके समाधान पर प्रकाश डाला।
 इस अवसर पर अमेरिका क आई0आर0सी0पी0सी0 तथा सी0ए0सी0आर0ई0पी0 द्वारा व्यवहारिक मनोविज्ञान को परामर्शन प्रशिक्षण के क्षेत्र में मान्यता देने से समबन्धित पट्टिका का अनावरण सी0ए0सी0आर0ई0पी0  की अध्यक्ष डा करोल एल बाबी , आई0आर0सी0पी0सी0 डा चाल्र्स ग्रेसार्ड,डा गणेश हेगड़े तथा सचिन जैन द्वारा किया गया।
दूसरे दिन का अंतिम सत्र प्रतिभागियों द्वारा व्यवहारिक मनोविज्ञान के विविध पक्षों से सम्बन्धित शोध पत्रों के वाचन से सम्बन्धित था इस सत्र में कुल 20 शोधपत्र पढ़े गये जिन पर गम्भीर विचाार विमर्श भी किए गये।
 संगोष्ठी के समापन की अध्यक्षता डा गणेश हेगड़े ने किय जबकि मुख्य अतिथि डा संजय गुप्ता अध्यक्ष मनोचिकित्सा विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय,वाराणसी थे। सत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका से आये डा करोल एल बाबी डा चाल्र्स  ग्रेसार्ड तथा डा सचिन जैन ने परामर्श के क्षेत्र में विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की तथा इस बात पर बल  दिया कि भावी परामर्श दाताओं के प्रशिक्षण के लिए जो भी कोर्स तैयार किया जाय उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित की जानी चाहिए क्योंकि यह सम्भव है कि यू0एस0ए0से मान्यता प्राप्त करने के बाद प्रशिक्षण के लिए एशिया के अन्य देशों से भी छात्र यहाॅ आ सकते हैं। उन्होंने जो भी सत्कार प्राप्त किया उसके लिए धन्यवाद ज्ञापन किया और निरन्तर सहयोग देने का आश्वासन दिया।
 मुख्य अतिथ डा संजय गुप्ता ने परामर्श  से सम्बन्धित अपने खुशहाली माडल के स्वरूप् तथा उपयोगिता को विस्तार से बताया तथा इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि पूर्वान्चल विश्व विद्यालय का व्यवहारिक मनोविज्ञान विभाग भी इस दिशा में उनका हमराही हो गया।
  विभागाध्यक्ष प्रो0 राम जी लाल ने अतिथियों का स्वागत किया और उनके सहयोग के लिए आभार प्रकट किया अंत में डा0 अजय प्रताप सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर डा0 मानस पाण्डेय,डा0 मनोज मिश्र डा0अविनाश पार्थिडेकर, डा0 एच0सी0पुरोहित,आशीष पाण्डेय,किशन सिंह,कपिल देव सहित सभी प्रतिभागी उपस्थित रहे।











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