Tuesday 26 February 2013

दिल्ली में हुई बापू बाजार की सराहना



जौनपुर।वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय  के कुलपति प्रो सुन्दर लाल द्वारा प्रारंभ की गई बापू बाजार योजना की दिल्ली में हुई राष्ट्रीय सेवा योजना की समीक्षा बैठक में केंद्रीय अधिकारियों  द्वारा खूब तारीफ की गई।पूर्वांचल विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवक-सेविकाओं के सहयोग से अब तक १८ बापू बाजार अभावग्रस्तों के लिए  लगा चूका हैं।

सोमवार को कृषि भवन दिल्ली में राष्ट्रीय सेवा योजना की समीक्षा बैठक आयोजित हुई जिसमंे देश के सभी प्रदेशों के उच्च शिक्षा सचिव और राज्य संपर्क अधिकारियों ने भाग लिया था।इस बैठक में उत्तर प्रदेश के राज्य संपर्क अधिकारी डॉ सतेन्द्र बहादुर सिंह ने पूर्वांचल विश्वविद्यलय के बापू बाजार योजना को प्रदेश के सबसे बेहतरीन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्य के रूप में प्रस्तुत किया।बापू बाजार के वृत्त चित्र को देखने के एवं बापू बाजार की सोच को जानने के  बाद युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार  की सचिव नीता चैधरी ने खूब सराहना की।उन्होंने बापू बाजार के सम्बन्ध मंे कई सुझाव भी दिए। उन्होंने अन्य प्रदेश से आये हुए अधिकारियों को बापू बाजार के कांसेप्ट को अपनाने के लिए कहा। 

राष्ट्रीय सेवा योजना उत्तर प्रदेश के राज्य संपर्क अधिकारी डॉ सतेन्द्र बहादुर सिंह एवं कार्यक्रम समन्यवयक डॉ एम हसीन खान  ने कुलपति प्रो सुंदर लाल से आज मुलाकात कर विस्तृत जानकारी दी। केंद्रीय अधिकारियों  ने टाटा कम्पनी के सहयोग से ३००  स्वयं सेवक-सेविकाओं के कौशल प्रशिक्षण एवं रोजगार के लिए सहमति दे दी हैं। 

व्यक्तित्व विकास की कार्यशाला है बापू बाजार-कुलपति


सबरहद में लगा  अठ्ठारहवां बापू बाजार


जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय द्वारा प्रारम्भ की गई बापू बाजार श्रंृखला के अन्तर्गत अठ्ठारहवां, बापू बाजार फरीदुल हक मेमोरियल डिग्री कालेज सबरहद शाहगंज में बापू बाजार में हजारों क्षेत्रीय लोगों ने दो से दस रूपये के प्रतीकात्मक मूल्य पर सामाग्रियों की जमकर खरीददारी की। बापू बाजार में महाविद्यालय के छात्र-छात्राऐं कुशल विक्रेता के रूप में दिखे। बापू बाजार का उद्घाटन फीता काटकर कुलपति प्रो0 सुन्दरलाल ने किया।

बतौर मुख्य अतिथि उन्होने कहां  कि बापू बाजार विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास की कार्यशाला है। इस कार्यशाला के माध्यम से महाविद्यालय एवं समाज के बीच की दूरी खत्म हुई है। हर व्यक्ति का अपना सम्मान होता है। बापू बाजार में अभाव ग्रस्तों की सहायता उनके सम्मान की रक्षा करते हुए की जा रही है। उन्हांेने कहा कि समाज में बढ़ती हिंसा दुःख देती है। आये दिन हो रहे विस्फोट बेगुनाहों को मौत  दे रहे है। ऐसी स्थिति गांधी के विचारों की और भी ज्यादा हमारे लिए जरूरत है।

अध्यक्षीय सम्बोधन में महाराष्ट्र सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो0 जावेद अकबाल खान ने कहा कि नौजवानों को पढ़ाई के साथ-साथ समाज से जोड़ने का बेेहतरीन काम विश्वविद्यालय कर रहा है। इस बाजार से हमारी दोहरी जिम्मेदारी पूरी हो रही है। बापू बाजार ने समाज सेवा करने के लिए एक दिशा दिखाई है।
विशिष्ट अतिथि विधायक शैलेन्द्र यादव ने कहा  कि बापू बाजार किताबी शिक्षा से हटकर जो सामाजिक शिक्षा दे रहा है उससे छात्रों मे नई ऊर्जा का संचार हुआ है।
बापू बाजार के संयोजक डा0 हितेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि इस बाजार से समाज के तमाम लोग जुड़ रहे है।  चिकित्सकों ने जहां निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण का जिम्मा ले रखा है वहीं एचडी एफसीबैंक द्वारा गरीबों के लिए कपड़ों का स्टाल लगाया जाना काबिले तारीफ है।

कार्यक्रम समन्वयक डा0 एम0 हसीन खान ने कहा कि बापू बाजार प्रयोग दो वर्ष में काफी सफल हुआ है। प्रतीकात्मक मूल्य पर बिके सामानों से एक लाख से अधिक एकत्रित होना गरीबों के सम्मान को दर्शाता है। बापू बाजार मे  तीन दर्जन से अधिक महाविद्यालयों ने स्टाल लगाये। फार्मेसी संस्थान द्वारा रक्त परीक्षण एवं होली केयर क्लििनिक के चिकित्सों द्वारा तीन सौ लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। 
प्राचार्य डा0 तबरेज आलम ने सभी अतिथियों का एवं महाविद्यालय से आये हुए कार्यक्रम अधिकारियों प्राचार्यो एवं स्वयं सेवकों/सेविकाओं एवं जनमानस के प्रति आभार प्रकट किया। इस अवसर पर डा0 वन्दना दूबे डा0 दिग्विजय सिंह राठोैर,डाॅ0विरेन्द्र विक्रम यादव,  डा0 वेद प्रकाश चैबे, आजमखान इरफान अहमद, शाहिद नईम, निजामुद्दीन, डा0 अजय कुमार वर्मा डा0 मितेन्द्र यादव डा0 अमित वत्स, डा0 अमरेन्द्र, डा0 सन्तोष, डा0 सुषमा सिंह, डा0रमेश सिंह,भूपेन्द्र पाल, रघुनन्दन यादव समेत तमाम लोग मौजूद रहे। संचालन मिर्जा जरियाब वेग ने किया। इस बापू बाजार में मडियाहू पी0जी0 कालेज, , सार्वजनिक पी0जी0 कालेज, जनता महाविद्यालय, राजदेई महाविद्यालय, टी0डी0 कालेज समेत अन्य महाविद्यालयों ने भागीदारी सुनिश्चित की।


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Friday 22 February 2013

क्रिकेट चैम्पियनशिप में भाग लेने के लिए वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की 15 सदस्यीय टीम बंगलोर रवाना

बी0 सी0 सी0 आई0 द्वारा स्वीकृत, मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा समर्थित, भारतीय विश्वविद्यालय संघ नई दिल्ली एवं एन0 डी0 टी0 वी0 इण्डिया के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित क्रिकेट चैम्पियनशिप में भाग लेने के लिए वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की 15 सदस्यीय टीम बंगलोर के लिए रवाना हो गयी। यह टीम विजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में खेलने गयी है।
 गौरतलब है कि पूर्वी क्षेत्र अन्तर विश्वविद्यालयीय क्रिकेट प्रतियोगिता में इसी वर्ष वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय ने अपना परचम लहराया था। इस विजेता टीम को प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए भारतीय विश्वविद्यालय संघ, नई दिल्ली एवं एन0 डी0 टी0 वी0 इण्डिया ने आमंत्रित किया है।  पूर्वांचल विश्वविद्यालय का पहला मैच 24 फरवरी को जैन विश्वविद्यालय, 2 मार्च को ग्वालियर विश्वविद्यालय एवं 3 मार्च को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के साथ होगा। यह 20-20 मैच है  जो कि दुधिया रोशनी में खेला जायेगा। विश्वविद्यालय की क्रिकेट टीम आज हवाई जहाज द्वारा बंगलोर के लिए रवाना हो गयी। 

आज सुबह 5 बजे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 सुन्दर लाल ने विजय कामना के साथ टीम को परिसर से रवाना किया। उन्होने कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है कि अपनी टीम राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले चैम्पियनशिप में भाग ले रही है। इस अवसर पर क्रीड़ा विभाग के रजनीश सिंह, अशोक सिंह एवं मोहन चन्द्र पाण्डेय उपस्थित रहे। 


Friday 15 February 2013

वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय का 16वां दीक्षांत समारोह

   महामहिम कुलाधिपति एवं राज्यपाल  उत्तर प्रदेश श्री  बीएल जोशी ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की वकालत करते हुए कहा है कि देश क्रांतिकारी परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, ऐसे समय में विश्वविद्यालयों को आगे आकर नई पीढ़ी का पथ प्रदर्शन करना चाहिए। उन्हें बौद्धिक रूप से सशक्त बनाया जाए। हालांकि यह कठिन कार्य है लेकिन इसकी जिम्मेदारी विश्वविद्यालयों को ही उठानी होगी। राज्यपाल शुक्रवार को वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय के 16वें दीक्षांत समारोह को बतौर कुलाधिपति संबोधित कर रहे थे। संगोष्ठी भवन में आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने जहां शिक्षा व्यवस्था की चुनौतियों की तरफ ध्यान लोगों का ध्यान आकृष्ट किया वहीं शिक्षकों को उनके दायित्वों से परिचित कराया। अहमेंव स्वयम इदं वदामि,जुष्टं देवेभिर उत् मानुशेभि::,यं कामये त तम् उग्रं कृणोमि, तं ब्राह्मण तम ऋषि तं सुमेधाम। ..ऋग्वेद में वर्णित इस श्लोक को उच्चारित करते हुए राज्यपाल बीएल जोशी ने दीक्षांत समारोह में गुरुओं की महिमा का गान किया। उन्होंने इसका भावार्थ समझाते हुए कहा कि.. गुरु कह रहे हैं कि जो भी व्यक्ति मेरे सानिध्य में होता है, उसे मैं संत, ज्ञानी और प्रतिभावान बना देता हूं। इसी के साथ वे शिक्षकों को सलाह देना नही भूले। उन्होंने कहा कि आचार्य का अर्थ है जो व्यक्ति अपने आचरण द्वारा दूसरों को प्रेरित करे। लिहाजा आचार्यो पर आचरण द्वारा उच्च आदर्श स्थापित करने का उत्तरदायित्व है। उन्होंने दो टूक कहा कि शिक्षक सिर्फ शिक्षण कार्य तक ही सीमित न रहकर भूमिका से भी आगे बढ़कर कार्य करें। भूमंडलीकरण के कारण भले ही शिक्षा मूल्यों में परिवर्तन हुआ है बावजूद इसके हमें अपने परंपरागत मूल्यों को नही भूलना होगा। वे देश की परंपराओं के अनुसार कार्य करते हुए त्याग, सेवा, प्रेम, सर्वधर्म सम्मान, लोकतांत्रिक जीवन पद्धति का दृष्टिकोण़ विद्यार्थियों में पैदा करें। क्योंकि शिक्षण संस्थानों से ही राष्ट्र के भविष्य का निर्माण होता है। उन्होंने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि सदियों से जो शक्तियां सामाजिक परिवर्तन की सूत्रधार रही हैं, उनका उद्भव  शिक्षण संस्थाओं व विश्वविद्यालयों से हुआ है। इस दौरान राज्यपाल ने युवाओं का आह्वान  करते हुए कहा कि वे नए जोश से कार्य करते हुए जीवन मूल्यों, कर्मो व आदर्शो से विश्वविद्यालय ही नही बल्कि देश का गौरव बढ़ाएं। एक सूत्र वाक्य कहा कि ..उतिष्ठत जागृत प्राप्य वरान्नि बोधत। यानी उठो जागो और तब जब तक मंजिल न मिल जाए तब तक रुको नही।
  श्री जोशी ने प्रधानमंत्री के एक भाषण के हवाला देते हुए कहा कि यह निराशाजनक है कि विश्व के दो सौ विश्वविद्यालयों की सूची में भारत के किसी संस्थान का नाम नहीं है। देश की तरुणाई का आान करते हुए कुलाधिपति ने कहा कि वे बेहतर भविष्य के निर्माण का संकल्प लें।
मुख्य अतिथि देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस वर्मा ने हालिया घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आम जन उद्वेलित हैं। इस चुनौती का हमें डटकर मुकाबला करना होगा। महिलाओं के संवैधानिक अधिकार, उनके सम्मान व सुरक्षा की व्यवस्था करना हम सब के लिए अहम है। उन्होंने आरटीआइ एक्ट की चर्चा करते हुए इसे व्यवस्था में पारदर्शिता लाने की कोशिश बताया। जस्टिस वर्मा ने गुड गवर्नेस में सिविल सोसाइटी की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि एक लोकतांत्रिक देश की सरकार में प्रत्येक नागरिक की भागीदारी होती है। उन्होंने दिल्ली दुष्कर्म की घटना का जिक्र किए बगैर कहा कि एक माह पूर्व की घटना को लेकर हमारी कमेटी ने जेंडर जस्टिस पर कार्य किया। इस दौरान महसूस हुआ कि आधी आबादी के लिए न्याय सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है।मुख्य अतिथि देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस वर्मा ने अपने भाषण के दौरान सामाजिक चुनौतियों के प्रति आगाह किया। इस दौरान उन्होंने डा.राजेंद्र प्रसाद द्वारा 15 अगस्त 1947 को संविधान सभा में दिए गए भाषण का जिक्र कर सपनों के भारत के निर्माण पर बल दिया। उन्होंने कुल 11 बिंदुओं पर संकल्प पेश कर देश की व्यवस्था सुधारने की अपील की। राजेंद्र प्रसाद के भाषण के हवाले से कहा कि ..जब गरीबी व उपेक्षा खत्म होगी। ऊंच -नीच की खाई मिटेगी। जब धर्म एक दूसरे को बांटने के बजाए मानव-मानव को जोड़ने का प्रयास करेंगें। जब अश्पृश्यता की भावना एक दुखद रात की तरह खत्म हो जाए। जनसंख्या का विस्फोट थमेगा..। अगर ऐसा हुआ तो समङिाए सपनों का भारत हमारा निर्मित होगा। उन्होंने मौजूद युवाओं से सीधे मुखातिब होते हुए कहा कि वे यह याद रखें की जिंदगी की चुनौतियां अब जाकर शुरू हुई हैं। शिक्षा जिंदगी की चुनौतियों से निबटने का माध्यम है। शिक्षा का मतलब साक्षरता ही नही है बल्कि इसका जनकल्याण में अनुप्रयोग करना चाहिए
 कुलपति प्रो.सुंदरलाल ने विश्वविद्यालय का प्रगति विवरण पेश करते हुए कहा कि हम शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
वर्ष 1987 में 11 जनपदों के कुल 67 महाविद्यालय से प्रारम्भ हुए, इस विश्वविद्यालय में वर्तमान में पूर्वांचल के 5 जनपदों के कुल 421 महाविद्यालय सम्बद्ध है, जिसमें कला, विज्ञान, विधि, शिक्षा, चिकित्सा, कृषि, वाणिज्य, अभियांत्रिकी, प्रबन्ध शिक्षा एवं व्यावहारिक सामाजिक विज्ञान संकाय के लगभग चार लाख छात्र-छात्रायें अध्ययनरत है। विश्वविद्यालय का आवासीय परिसर भी तेजी से विकसित हो रहा है। परिसर में संचालित पाठ्यक्रमों में क्षेत्रीय, आर्थिक एवं सामाजिक आवश्यकताओं पर केन्द्रित व्यावसायिक, रोजगार परक एवं उद्यमिता विकास पर आधारित विषयांे की शिक्षा दी जा रही है।
मूलतः सबंद्वीय होने के नाते विश्वविद्यालय एक मुख्य दायित्व है लगभग 4 लाख विद्यार्थियों की व्यवस्थित एवं सुचितापूर्ण ढ़ग से परीक्षायें सम्पादित कराना। इस हेतु गत सत्र के समान ही वर्तमान सत्र के परीक्षा आवेदन पत्र आनलाइन जमा कराए जा चुके है। परीक्षाफल की गोपनीयता एवं विश्वसनीयता के मद्देनजर गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी लगभग 30 लाख उत्तर पुस्तिकाओं की कोडिंग कराकर, क्लोज सर्किट कैमरे के निरीक्षण में मूल्यांकन कराया गया। विश्वविद्यालय के समस्त परीक्षाफल, अंक-पत्र आनलाइन उपलब्ध कराए गए। इसी वर्ष पाॅंच सिक्योरिटी फीचर्स वाली फोटोयुक्त माक्र्सशीट एवं डिग्री सर्टिफिकेट की भी व्यवस्था की गयी है।
परीक्षा व मूल्यांकन के साथ-साथ शिक्षा के गुणवत्ता बनाए रखने के लिए हमने महाविद्यालयों के साथ मिलकर प्रयास किये है। शिक्षकों के अभाव में महाविद्यालयों की मान्यता बाधित रखने जैसे कदम भी उठाए गए हैं। विगत वर्ष कुल 171 महाविद्यालयों के लगभग 800 शिक्षकों का विश्वविद्यालय बुलाकर भौतिक सत्यापन कराया गया। सामूहिक नकल के आरोप में विगत वर्ष 31 महाविद्यालयों को दण्डित किया गया। अर्हता के अभाव में 3 महाविद्यालयों के परीक्षा आवेदन पत्र जमा नहीं कराये गये। 
शोध को बढावा देने के लिए विश्वविद्यालय ने अमरीका के कई विश्वविद्यालयों के साथ द्वि पक्षीय सम्झौता किया है तथा देश की एम्स एवं जाल्मा जैसे संस्थानों के साथ संयुक्त शोध की योजनाओं पर कार्य शुरू किया है। वर्तमान समय में विश्वविद्यालय ने शोध की गुणवत्ता हेतु शोध ग्रंथ जमा करने से पूर्व दो शोध पत्रों का प्रकाशन की अनिवार्यता, शोधग्रंथ मौखिकी परीक्षा की वीडियोग्राफी तथा यू.जी.सी. की शोध गंगा परियोजना में शोधग्रंथों का प्रकाशन जैसे कदम उठाये गये है।
प्रसार कार्यक्रमों को भी विश्वविद्यालय ने काफी बढावा दिया है। एन.एस.एस. कैडेट्स के माध्यम से विश्वविद्यालय परिक्षेत्र के जनपदों में प्रत्येक माह के अन्तिम रविवार को अति पिछड़े क्षेत्र में बापू बजारों का आयोजन पिछले दो वर्षों से अनवरत जारी है। अभी तक कुल 17 बापू बाजारों का आयोजन विभिन्न जनपदों में हो चुका है। विश्वविद्यालय ने मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कर किसानों को निःशुल्क मशरूम बीज वितरित किये है। आनुवाशिंक रोगों के प्रति जागरूकता, एड्स पीडि़तों के पुनर्वास हेतु जागरूकता, मतदान के प्रति जागरूकता जैसे कार्यक्रमों के साथ-साथ जेंडर विषमता कम करने, महिलाओं के योन शोषण रोकने तथा मद्यपान से विरक्ति हेतु जैसे अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया हैं। विश्वविद्यालय रजत जयंती सत्र 2012-13 में अनेक शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें शिक्षक दिवस के अवसर पर परिसर में डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की प्रतिमा का अनावरण, महाविद्यालयों के अवकाश प्राप्त शिक्षकों को सम्मान, 23-24 सितंबर को मानवाधिकार पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन गुजरात उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त मुख्य न्यायाधीश श्री डी. एस. सिन्हा एंव इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री पलोक बसु जैसे विधि विशेषज्ञों की सहभागिता, 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे, 12 जनवरी 2013 को स्वामी विवेकानंद जयंति पर संगोष्ठी का आयोजन एंव 23 जनवरी को परिसर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति स्थापना जैसे आयोजन शामिल है।
शैक्षणिक कार्यक्रमों के अलावा छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु सांस्कृतिक एवं खेलकूद कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। परिसर में 25 सितंबर से 2 अक्टूबर (विश्वविद्यालय स्थापना दिवस) तक अंतर्विभागीयसंकाय सांस्कृतिक प्रतियोगिता ‘झंकार’ आयोजित की गयी जिसके अंतर्गत सम्पन्न हुई गीत-संगीत, थिएटर, फाइन आर्ट्स एवं लिटररी प्रतियोगिताओं लगभाग तीन सौ से भी अधिक छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। 
भारतीय विश्वविद्यालय संघ, नई दिल्ली द्वारा आवंटित पूर्वी क्षेत्र अन्तर विश्वविद्यालयीय बास्केटबाल महिला, क्रिकेट महिला, हाकी महिला एंव अखिल भारतीय (आल इण्डिया) अन्तर विश्वविद्यालयीय हाकी महिला प्रतियोगिता के सफल संचालन का परिणाम रहा कि पुनः भारतीय विश्वविद्यालय संघ, नई दिल्ली द्वारा सत्र 2012-13 की पूर्वी क्षेत्र अनतर विश्वविद्यालय क्रिकेट महिला, हाकी महिला, हाकी पुरूष तथा अखिल भारतीय (आल इण्डिया) अन्तर विश्वविद्यालय हाकी पुरूष प्रतियोगिता के आयोजन की जिम्मेदारी इस विश्वविद्यालय को सौंपी गयी, जिसका आयोजन सफलता पूर्वक किया जा रहा है। इस क्षेत्र में हमारी अनेक सराहनीय उपलब्धियाॅं रही है। व्यक्तिगत स्पर्धा (अखिल भारतीय अन्तर्विश्वविद्यालयीय प्रतियोगिता में हमारे खिलाडि़यों ने 5 स्वर्ण, 2 रजत तथा 3 कास्ंय पदक जीते है तथा हमारे एक खिलाड़ी ने चतुर्थ तथा तीन खिलाडियों ने पांचवें स्थान प्राप्त किये है। इतना ही नहीं भारतीय विश्वविद्यालय संघ, नई दिल्ली द्वारा हमारे खिलाड़ी श्री अविनाश कुमार को विश्वविद्यालयीय स्तर पर भारतवर्ष का सर्वोच्च तीरदांज घोषित किया गया है। इस खिलाड़ी ने सिनजेन विश्वविद्यालय रिपब्लिक आफ चाइना द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयीय ;ॅवतसक न्दपअमतेपजलद्ध तीरदांजी चैम्पियनशीप प्रतियोगिता में भी भाग लिया। हमने टीम स्पर्धा में हाकी महिला पूर्वी क्षेत्र अन्तर्विश्वविद्यालयीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान, हाकी महिला अखिल भारतीय (आल इण्डिया) अन्तर्विश्वविद्यालयीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान, क्रिकेट महिला (विश्वविद्यालय के इतिहास में प्रथम बार) पूर्वी क्षेत्र अन्तर्विश्वविद्यालयीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान अखिल भारतीय (आल इण्डिया) अन्तर्विश्वविद्यालयीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग के लिए क्वालिफाई किया है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पोषित वृहत शोध परियोजना के अंतर्गत परिसर के जैव प्रद्योगिकी विभाग में तीन तथा प्रबंध अध्ययन संकाय को एक परियोजना हेतु अनुदान प्राप्त हुआ है। ग्यारहवी पंचवर्षीय योजना के तहत ईक्वल अपोर्चुनिटी प्रकोष्ठ, अनुसूचित जाति- जनजाति के छात्रों को कोचिंग केंद्र, छात्रावास में डे-केयर केंद्र आदि स्थापित हो चुके हैं और बारहवी पंचवर्षीय योजना हेतु लोक कला एवं साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन केंद्र, मशरूम प्रशिक्षण केन्द्र, उद्यमिता विकास व ग्रामीण प्रबंध केंद्र, अंबेडकर अध्ययन पीठ, गांधी अध्ययन पीठ आदि प्रस्तावित हैं। शिक्षा की गुणवत्ता सुधरने और अध्यापन को प्रभावी बनाने के लिए प्रत्येक विभाग में स्मार्ट क्लासरूम, ई-चाक, इंटरेक्टिव बोर्ड इत्यादि अत्याधुनिक तकनीकियां उपल्ब्ध कराई जा रही हैं। केंद्रीय पुस्तकालय में ई-जर्नल्स, ई-बुक्स, आदि उपलब्ध सुविधाओं में बढ़ोत्तरी की जा रही है। अनुसूचित जाति- जनजाति के छात्रों के लिए स्पेशल रेमेडियल क्लास का आयोजन सितंबर माह मे किया गया। परिसर में व्यावसाइक पाठ्यक्रमों के छात्रों को समाज से जोडने के उद्देश्य से एन.एस.एस. की चार इकाइयां स्थापित की गई। विश्वविद्यालय कार्य संस्कृति में सुधार हेतु शिक्षकों के नेतृत्व मे पहली बार केंद्रीय प्लेसमेंट प्रकोष्ठ, सांस्कृतिक परिषद, जनसंपर्क समिति, सेमिनार व संगोष्ठी आयोजन समिति, युवा महोत्सव समिति, छात्रावास मोनिटरिंग समिति, आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ, परिसर क्रीड़ा परिषद, सामुदाइक रेडियो केंद्र, थिएटर एसोसिएशन, बापू बाजार समन्वय समिति, विश्वविद्यालय सौंदर्यीकरण समिति का गठन किया गया।
महामहिम जी मुझे इस विश्वविद्यालय के प्रथम सेवक के रूप नियुक्त करते समय आपने जिन समस्याओं की ओर इंगित किया था उनमें प्रमुख थी हमारे युवावर्ग का वर्तमान व्यवस्था से होता विश्वास-क्षरण और मोहभंग, आप ने विश्वविद्यालय स्तर पर कुछ ऐसा किये जाने की अपेक्षा की थी जो क्षरण के इस प्रवाह को रोक सके, उलट सके। इस अवधारणा के वशीभूत होकर हमने विश्वविद्यालय स्तर पर कुछ छोटे- छोटे कदम उठाये हैं।
राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वाधान में शुरू की गयी बापू बाजार योजना अब राष्ट्रीय स्तर पर पूर्वांचल विश्वविद्यालय की पहचान बनती जा रही है। इस योजना के माध्यम से हमारे छात्र समाज के अपेक्षाकृत सम्पन्न व्यक्तियों से माॅग कर दैनिक उपयोग की उन वस्तुओं, वस्त्र, बर्तन, पुस्तकें, खिलौने आदि का संग्रह करते है जो उनके प्रयोग मंे नहीं, पर अभी भी प्रयोग की जा सकती है। इन्हीं वस्तुओं को हमारे छात्र बापू बाजार के माध्यम से निर्धन एवं जरूरतमंद व्यक्तियों को दो, पाॅंच व दस रूपये में प्रतीकात्मक मूल्य पर बेचते है। प्रत्येक माह के अन्तिम रविवार को लगने वाले इस बापू बाजार का आयोजन हमारे छात्र किसी बस्ती की चैपाल, प्राइमरी पाठशाला, प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र अथवा किसी शिक्षा संस्थान में किया जाता है। अप्रयोज्य वस्तुओं के संग्रह एवं विक्रय का यह बापू बाजार हमारे छात्रों के लिए व्यक्तित्व विकास की कार्यशाला है, वैचारिक स्तर पर यह विवेकानन्द के दरिद्र नारायण की स्वाभिमान सहित सहायता है तो व्यवहारिक स्तर पर शिक्षा संस्थानों एवं समाज के बीच की दूरी कम करने का प्रयास, अध्यात्मिक स्तर पर यह प्रकृति के प्रति हमारे सम्मान का सूचक है तो भावनात्मक स्तर पर सत्य और अहिंसा के अग्रदूत हमारे अपने बापू के साथ जुड़ने का प्रयास है। देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में चर्चित इस बापू बाजार के हम गत दो वर्षो में 17 आयोजन कर चुके हैं और लगभग 1 लाख 10 हजार रूपये का संग्रह कर चुके है। महामहिम जी, आज के युग में एक लाख रूपये कोई बड़ी राशि नहीं है पर निर्धन और जरूरतमंद लोगों के दो-दो, पाॅंच-पाॅच को जोड़कर बनी यह राशि हमारे लिए देश के दरिद्र नारायण के स्वाभिमान का स्मारक एवं राष्ट्रपिता बापू के प्रति हमारी श्रद्धा का प्रसाद है।
एक अन्य कदम के रूप में हमने विश्वविद्यालय परिसर में स्थित विभिन्न मार्गों के नाम 1857 और उसके बाद के युग के कुछ उन शहिदों के नाम पर रखने का प्रयास किया है जो स्वाधीनता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने के बाद भी गुमनाम, अचर्चित अथवा अल्पचर्चित रह गये हैं। इतिहास के पन्नों में हाशियों पर सिमटे मातादीन भंगी, बांके चमार, मक्का पासी, मुजतबा हुसैन, रामानन्द - रघुराई कुछ ऐसे ही नाम है जो श्रद्धान्जली स्वरूप हमारे परिसर के मार्गो पर शोभित है। हमारा विश्वास है कि इन मार्गो पर कदम रखते समय हमारे विद्यार्थियों के मन मंे यह भाव जगे कि जिस खुले वातायन में वे साॅंस ले रहे हैं उसकी सुगंधी का स्रोत किन वीरात्माओं के लहू से उपजा है।
महामहिम जी, कश्मीर से कन्या कुमारी और कच्छ से कोहिमा तक फैले हमारे देश की एकता हमारे लिए भगवान का अद्भुत वरदान है। इस भाव को अपने युवाओं में संचारित करने हेतु हमने देश की विभिन्न प्रान्तों के एवं विभिन्न विधाओं के प्रेरणादायक नामों से विश्वविद्यालय परिसर को अलंकृत करने का प्रयास किया है इनमें से कुछ नाम है: मणिपुर की स्वतंत्रता सैनानी रानी गिडाल्यू, राजस्थान की संत कवि मीराबाई, महाराष्ट्र के पहलवान डी के जाधव, तमिलनाडू के गणितज्ञ, रामानुजन, कर्नाटका के इंजीनियर विश्वैस रैया, बंगाल के वैज्ञानिक जगदीश बासु, मध्य प्रदेश के रंगकर्मी हवीब तनवीर, केरल के चित्रकार राजा रवि वर्मा, उत्तर प्रदेश के शायर कैफी आजमी, बिहार के लोक गायक भिखारी ठाकुद आदि। इसी क्रम में हमने महिला छत्रावास का नाम नारी विद्रोह की प्रतीक एवं नारी अस्मिता की रक्षक द्रोपदी के नाम पर, स्टेडियम का नाम, एकाग्रता एवं समर्पण की प्रतिमूर्ति आदर्श छात्र एकलव्य के नाम पर तथा प्रबन्धन संस्थान भवन का नाम राज्य निर्माता, नीतिज्ञ एवं क्रान्तिकारी शिक्षक चाणक्य के नाम पर रखने का निर्णय लिया है।
कुलपति प्रोफेसर सुंदर लाल नें महामहिम जी से कहा कि  हमारी कुछ सीमाएं भी है। विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता का संकुचन स्वायत्ता का सदुपयोग दोनों है। प्रदेश ही नहीं देश व्यापी समस्यायें हैं। शासन द्वारा निर्धारित कार्यदायी संस्थाओं की एक अपनी ही कार्य संस्कृति है। भ्रष्टाचार से लड़ने के हमारे अस्त्र भी बहुत कारगर नहीं है। इन सीमाओं में रहकर भी हम अपने लक्ष्य प्राप्ति की ओर प्रयासरत् है।
 शिक्षण संस्थानों व समाज के बीच की दूरी को कम करने की दिशा मे प्रयास चल रहा है। समारोह में 33 मेधावियों को गोल्ड मेडल व 387 को पीएचडी की उपाधि दी गई।




























Saturday 2 February 2013

कुलपति प्रो. सुंदरलाल ने किसानों को मुफ्त में मशरूम का बीज बांटा



वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग में किसानों को सीधे लाभ पहुचने के उद्देश्य से नवम्बर २०१२ में मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण एवं शोध केंद्र की स्थापना की गई. इस केन्द्र की स्थापना के पश्चात किसानों को प्रशिक्षण हेतु केंद्र के समन्वयक एवं विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एम पी. सिंह द्वारा दो कार्यशाला का आयोजन किया जा चुका है. इसी कड़ी में आज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुंदरलाल ने तृतीय कार्यशाला में किसानों को मुफ्त में मशरूम का बीज बांटा.

तृतीय कार्यशाला के बीज वितरण समारोह में किसानों को संबोधित करते हुए प्रो. सुंदरलाल ने कहा कि विश्वविद्यालय को गाँव से जोड़ने का यह एक प्रयास है. मशरूम उत्पादन बिना किसी व्यय के आप कर सकते हैं. विश्वविद्यालय का यह केंद्र आपको सदैव सहयोग करता रहेगा. उन्होंने कहा कि मशरूम का प्रयोग पहले घर, परिवार और फिर इसे व्यवसाय के रूप में करके समाज में लोकप्रिय बनायें.
  बायोटेक्नोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं मशरूम केंद्र के समन्वयक प्रो. एमण् पी. सिंह ने कहा कि इस पहल से किसान आसानी से मशरूम कि खेती कर पाएँगे. इससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, कुपोषण से लड़ने में सहायता मिलेगी एवं रोजगार मिलेगा.


कार्यशाला में तीन दर्ज़न किसानों को मुफ्त में बीज बांटा गया. कार्यशाला में डॉ. विवेक पाण्डेय, अभिषेक कुमार श्रीवास्तव एवं संजय विश्वकर्मा ने किसानों को मशरूम उत्पादन हेतु प्रशिक्षण दिया. इस अवसर पर डॉ. राम नारायण डॉ. अजय द्विवेदी, डॉ. अजय प्रताप सिंह, डॉ. ओम प्रकाशए डॉ. मनोज मिश्र, डॉ. दिग्विजय सिंह राठोर, डॉ. अवध बिहारी सिंहए डॉ. कार्तिकेय शुक्ला एवं अन्य शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं मौजूद थे. किसानों में प्रमोद मिश्र, फुल चंद, गामा प्रसाद, इश्वरचंद पाण्डेय, अरविन्द कुमार लालचंद आदि मौजूद थे.