Thursday 8 March 2012

विश्वविद्यालय से जुड़े सभी छात्र - छात्राओं, कर्मचारियों ,अधिकारिओं एवं अध्यापकों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं . होली के इस पावन पर्व पर ईश्वर से यह प्रार्थना हैं कि आप के जीवन में खुशिया भर दे. 

Saturday 3 March 2012

आम जनमानस में वैज्ञानिक सोच जागृत करना समय की आवश्यकता...

वैज्ञानिक झांकियों का अवलोकन करते कुलपति प्रो.सुंदर लाल जी

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते कुलसचिव डॉ बी एल आर्य
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी 2012  को , कांफ्रेंस हाल में, राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिक संचार परिषद ,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार द्वारा उत्प्रेरित एवं समर्थित ‘सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रसार’ विषयक चार दिवसीय कार्यशाला का आयोजन  किया गया। जिसका समापन  2 मार्च 2012 को हुआ।कार्यशाला का आयोजन श्री द्वारिकाधीश लोक  संस्कृति एवं वानस्पतिकी विकास संस्थान एवं जनसंचार विभाग के संयुक्त प्रयास से किया गया ।

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में  विषय विशेषज्ञ  लखनऊ विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डा. मुकुल श्रीवास्तव ने कहा कि आज आम जनमानस में वैज्ञानिक सोच जागृत करना समय की आवश्यकता है  । वगैर इसके हम प्रगति और संतुलन को सम्हाल नहीं पाएंगे.बड़े-बड़े वैज्ञानिक शोध तो होते हैं लेकिन आम आदमी उससे दूर हो रहा है।इसका केवल एक ही कारन है की हम अपनें वैज्ञानिक शोधों को आम आदमी तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। कार्यशाला का विषय प्रवर्तन करते हुये डा. मनोज मिश्र ने कहा कि समाज में वैज्ञानिक चेतना जागृत करने में हमारे परम्परागत माध्यम बहुत सशक्त हैं। धार्मिक मेले में  उमड़ी भीड़ को इन माडलों   के जरिये हम विज्ञान की छोट-छोटी परन्तु मोटी जानकारियां दे सकते हैं। इस माध्यम से विज्ञानं संचार को  आम आदमी सहजता से ग्रहण कर सकेगा। स्थानीय स्रोत विद्वान  एवं जनपद के विज्ञान क्लब के समन्वयक  डा. सीडी सिंह  ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने विज्ञान को धर्म के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया।तमाम पेड़ पौधे जो कि जीवन के लिए जरूरी हैं उन्हें धर्मं से जोड़ कर उनके अस्तित्व रक्षा के लिए प्रयास किये गये ताकि धर्मावलम्बी जनता इसी बहाने उनकी देख भाल करती रहे। सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन डा. अजय प्रताप सिंह ने कहा कि जैसे-जैसे विज्ञान का प्रसार होता गया, वैसे-वैसे समाज में व्याप्त बहुत सारे अंधविश्वासों का अंत हो गया। अध्यक्षीय सम्बोधन में पूविवि के कुलसचिव डा. बीएल आर्य जी ने कहा कि आज वैज्ञानिक सोच को आम जनमानस में पहुंचाने के लिये संचार रिक्तता को दूर करने की जरूरत है।  इसके पहले अतिथियों का स्वागत संकाय के डीन डॉ अजय प्रताप सिंह द्वारा किया गया ।  इस अवसर पर आयोजक संस्था द्वारा आये हुए अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं शाल देकर सम्मानित किया । संचालन डा. अवध बिहारी सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन दिग्विजय सिंह राठौर ने किया।
 कार्य शिविर के चार दिनों में  विभिन्न तकनीकी सत्रों में वैज्ञानिक झाँकियों के निर्माण हेतु विषयों का चयन विषय विशेषज्ञों की सहमति से  प्रतिभागियों द्वारा    किया गया। विषय विशेषज्ञों की सलाह पर कार्यशाला में आये प्रतिभागियों ने हाईटेक विलेज, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, अंधविश्वास उन्मूलन, मूर्ति विसर्जन से होने वाला जल प्रदूषण, प्राचीन काल में संचार के स्वरुप और आधुनिक तरीका :सीधा प्रसारण एवं वर्तमान में अंतर, आक्सीटोसीन इंजेक्शन का पशुओं पर प्रभाव, सस्ते रूप में पानी को साफ करने का तरीका, फसलों के उत्पादन में विज्ञान, जल शोधन,  अपराधियों की पकड़ में विज्ञान की भूमिका, खाद्य पदार्थों में मिलावट आदि विषयों पर निर्माण प्रारम्भ किया । शिल्पकार जय प्रकाश शुक्ल (दीना आर्टिस्ट) के निर्देशन में वैज्ञानिक झांकियों का निर्माण कार्य जारी रहा।
झांकी निर्माण में रत प्रतिभागी 

 समय-समय पर तकनीकी सत्र में झांकी  निर्माण हेतु प्रतिभागियों को आवश्यक दिशा निर्देश विषय विशेषज्ञों द्वारा दिया जाता रहा।लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डा. मुकुल श्रीवास्तव ने कहा कि जो भी वैज्ञानिक   माडल बनाये जाएँ , वह जनाकर्षक रहे। विज्ञान क्लब के डा. सीडी सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक झांकियां ऐसी  रहे जिससे हर तबके के लोगों तक उसके संदेश को पहुंचाया जा सके। बायो टेक्नोलाजी विभाग के प्रवक्ता एवं स्थानीय स्रोत विद्वान प्रदीप कुमार ने जैव प्रौद्योगिकी से जुड़े विज्ञान माडलों पर प्रतिभागियों को टिप्स दिया। कार्यक्रम संयोजक डा. मनोज मिश्र ने कहा कि हमें आमजन में विज्ञान के प्रति आकर्षण जागृत करना होगा तभी  जन-जन में विज्ञान का संदेश समाहित हो सकेगा।
चार दिवसीय कार्यशिविर के समापन सत्र में  वैज्ञानिक झांकियों के प्रदर्शन को देखने आये  पूविवि के कुलपति प्रो. सुन्दर लाल जी ने कहा कि समाज में वैज्ञानिक चेतना का प्रसार करना आज की जरूरत है। वैज्ञानिक सोच के बिना समग्र विकास संभव नहीं है। आज पर्यावरण को बचाये रखने की सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे में विद्युत शवदाह गृहों को बड़े स्तर पर उपयोग में लाने के लिये प्रयास होने चाहिये। कुलपति  जी नें  कार्यशाला में निर्मित   प्रदर्शन के लिए रखे गये सभी  वैज्ञानिक माडलों को देखा। उन्होंने कहा कि विज्ञानं के सन्देश को समेटे हुए यह झांकियां निश्चित रूप से विज्ञानं के जनजागरण में सहायक सिद्ध होंगी ।  इसके पूर्व निर्मित वैज्ञानिक झांकियों  का मूल्यांकन विशेषज्ञ समिति द्वारा किया गया जिसमें शिल्पकार जय प्रकाश शुक्ल ‘दीना आर्टिस्ट’, वरिष्ठ पत्रकार श्याम नारायण पाण्डेय,आर एस के डी पी.जी. कालेज   में जंतु विज्ञानं विभाग के विभागाध्यक्ष डा. आलोक मिश्र, डा. रूश्दा आजदी, डा. अवध बिहारी सिंह, दिग्विजय सिंह राठौर शामिल थे।
प्रतिभागियों को सम्मानित करते प्रो.रामजी लाल
समापन सत्र में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित करते हुये विश्वविद्यालय में अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. रामजी लाल ने कहा कि यहां निर्मित वैज्ञानिक झांकियां आम लोगों को लुभा रहे हैं जिसके प्रभाव आज से ही देखने को मिल रहे हैं . आज इन झांकियों के प्रदर्शन को ग्रामीण भी सहजता से देख रहे हैं और उनमें छिपे सन्देश को आत्मसात कर रहे है । 
चार दिवसीय  कार्यशाला के विभिन्न गतिविधियों में डॉ मानस पाण्डेय ,डा. अजय द्विवेदी, डॉ एच  सी पुरोहित ,डॉ  एस के सिन्हा,डॉ अविनाश पार्थीडकर ,   डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी, उदित नारायण, डा. सुभाष सिंह, डा. दयानन्द उपाध्याय, डॉ सुधाकर शुक्ल,वीरेन्द्र सिंह , डा. सीडी सिंह, अंशुमान , सुनीता सिंह, आलोक सिंह, मनोज उपाध्याय सहित अन्य ने सराहनीय सहयोग किया। समापन सत्र में उपस्थित  सभी आगंतुकों एवं प्रतिभागियों का स्वागत दिग्विजय सिंह राठौर द्वारा  और संचालन डा. अवध बिहारी सिंह ने   किया। राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिक संचार परिषद ,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार नई दिल्ली एवं श्री द्वारिकाधीश वानस्पतिकी विकास संस्थान की ओर से पूविवि में आयोजित इस चार दिवसीय शिविर के समापन पर आये हुए सभी आगंतुकों एवं प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन समन्वयक डा. मनोज मिश्र द्वारा किया  गया।