Tuesday 16 August 2011

अपने अन्दर के लोकपाल को जागृत करें .....

स्वत्रन्त्रता दिवस के  पावन अवसर पर विश्वविद्यालय में ध्वजारोहण  के  पश्चात  विश्वविद्यालय के सम्मानित शिक्षक बन्धुओं ,अधिकारीगण और कर्मचारी भाइयों  को   स्वत्रन्त्रता दिवस की शुभकामना और बधाई   के साथ वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय   के  कुलपति प्रो.सुंदर लाल जी नें कहा कि हमारे देश ने स्वत्रन्त्रता पश्चात  प्रत्येक क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल की  है .इस महान देश   को   सबके योगदान और  सहयोग से अभी बहुत आगे ले जाना है और यह तभी संभव है जब हम  अपने अन्दर के लोकपाल को जागृत करें .....
उन्होंने कहा कि  आज हम विज्ञान-तकनीक    ,सूचना तकनीक ,परिवहन ,कृषि,शिक्षा,न्याय ,अर्थ व्यवस्था, और सुशासन  में दुनिया के कई मुल्कों से बहुत आगे हैं.हम पर कभी राज करनें वाले लोग और देश आज स्वयं दंगों की आग में झुलस रहे हैं  लेकिन विश्व बंधुत्व -भाई चारा-अमन चैन में यकीन करने वाला हमारा देश हर चुनौतियों में  सदैव मजबूत होकर निकला है.आजादी के बाद हमनें लोंगों को रोटी और कपड़ा के लिए तरसते हुए देखा है लेकिन आज हमारे किसान भाई इतनी उपज पैदा कर रहे हैं कि हम दुनिया के अन्य मुल्कों तक इसे पहुंचा रहे हैं.
 स्वत्रन्त्रता आन्दोलन के अमर शहीदों को नमन करते हुए कुलपति जी नें कहा कि उनका बलिदान व्यर्थ न जाय इस लिए हम सब    अपने अन्दर के लोकपाल को जागृत करें ...और देश के विकास में अपनी भूमिका का निर्वहन  करें...उन्होंने कहा कि यदि आपनें अपनें अन्दर के लोकपाल को जागृत नहीं किया तो हम सब के  ऊपर बैठा  लोकपाल हमे कभी माफ़ नहीं करेगा,वह सब देख और सुन रहा है,उसकी लाठी में आवाज़ नहीं होती आपके जीवन काल में ही वह आप को न्याय दे देगा....
आज स्वत्रन्त्रता दिवस के  पावन अवसर विश्वविद्यालय परिसर में  पर्यावरण को समृद्ध रखनें के दृष्टिकोण  से बृक्ष  भी रोपित किये गये   ----
                                                  पौध रोपित करते माननीय कुलपति जी


पौध रोपित करते कुलसचिव  डॉ .बी .एल .आर्य


पौध रोपित करते करते परीक्षा नियंत्रक डॉ आर .एस .यादव ,डीन विद्यार्थी कल्याण प्रो.राम जी लाल और डॉ .राजेश  सिंह  

 
 पौध रोपित करते करते कुलपति  जी  के निजी सचिव   डॉ  के.एस.तोमर  ,विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष श्री अमलदार यादव , विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष श्री सुशील प्रजापति और श्री रजनीश सिंह

No comments:

Post a Comment